वर्तमान समय में लगभग 100 लोगों पर इस तकनीक का किया गया इस्तेमाल
नई दिल्ली । अक्सर देखा जाता है कि जब हम लास, ऑफिस या फिर किसी और जगह रहते हैं तो हम अपने आसपास किसी को देखते हैं तो सोचते हैं कि इसका दिमाग कितना तेज चल रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि दिमाग को नियंत्रित करने वाले उपकरण भी आ गए हैं? कुछ को पता होगा लेकिन कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं होगी। इन उपकरणों को ब्रेन- कंप्यूटर इंटरफेस कहा जाता है।
इन तकनीक का विकास तेजी के साथ हो रहा है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इसी साल ये तकनीक मुख्यधारा में भी आ जाएगी। वर्तमान समय में लगभग 100 लोगों को पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। अगर यह परीक्षण सफल होता है तो आने वाले समय में इसकी संख्या भी बढ़ाई जा सकती है। बता दें कि ये उपकरण पहले से ही लकवाग्रस्त लोगों का दिमाग नियंत्रित करने में मदद कर रहे हैं।
इन कंपनियों में लगी होड़
ब्रेन ट्रांसप्लांटेशन को मार्केट में लाने के लिए चार कंपनियां जी तोड़ मेहनत कर रही हैं। इसमें एलोन मस्क की न्यूरालिंक का नाम है। बता दें कि न्यूरालिंक अपनी चिप को मोटर कॉर्टेस में गहराई से लगाता है। इसके जरिए मरीज सिर्फ सोचकर कंप्यूटर कर्सर को नियंत्रित कर सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पता चला है कि अभी तक तीन मरीजों का ट्रांसप्लांटेशन किया जा चुका है। इसके अलावा सिंक्रोन का भी नाम इसमें है। बता दें कि सिंक्रोन सीमित हाथ की गतिशीलता वाले रोगियों के लिए टचस्क्रीन के नियंत्रण को बहाल करने में मदद करता है।
यह मस्तिष्क में रक्त वाहिका के माध्यम से अपने प्रत्यारोपण को थ्रेड करता है और ये सिर को खोलने से बचा सकता है और साथ ही साथ ये सर्जरी को सरल बनाता है। इन दोनों के अलावा तीसरी कंपनी है प्रेसिजन न्यूरोसाइंस। प्रेसिजन का उपकरण मस्तिष्क की सतह पर बैठता है और वर्तमान में इसमें तार हैं, लेकिन इसका लक्ष्य पूरी तरह से वायरलेस होना है। कंपनी को उमीद है कि यह अंतत: लोगों को केवल विचारों के माध्यम से बोलने में मदद कर सकता है। इसके अलावा जानकारी मिली है कि आने वाले वर्ष में 100 लोगों तक डिवाइस को प्रत्यारोपित करने की योजना के साथ परीक्षण पहले से ही चल रहे हैं।
भेड़ों में डिवाइस का परीक्षण किया, अब मनुष्य पर
चौथी कंपनी है पैराड्रोमिस। बता दें कि पैराड्रोमिस छोटे इलेट्रोड का उपयोग करता है जो मस्तिष्क में 1.5 मिमी तक धकेलते हैं, जिससे एक मजबूत और तेज कनेक्शन मिलता है। कंपनी ने भेड़ों में डिवाइस का परीक्षण किया है और जल्द ही मानव परीक्षण शुरू करने की योजना बना रहा है। अगर परीक्षण सफल हुआ तो इंसानी दिमाग को नियंत्रित किया जा सकेगा।
इन कंपनियों की तकनीक विभिन्न तरीकों से मस्तिष्क से जानकारी प्राप्त करती है। जहां एक तरफ इसके फायदे हैं वहीं दूसरी तरफ इसके नुकसान भी है। अगर यह परीक्षण सफल होते हैं तो इन उपकरणों का उपयोग लाखों लोगों द्वारा किया जा सकता है, जिससे उन्हें अपने विचारों से तकनीक को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
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