आतंकी ठिकानों पर हमले के 30 मिनट के बाद बताया था पाक को

संसदीय पैनल से बोले विदेश मंत्री जयशंकर सीजफायर में ट्रंप की कोई भूमिका नहीं

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को एक संसदीय समिति को बताया कि भारतीय सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) ने पाकिस्तान को उनके क्षेत्र में आतंकी शिविरों पर हवाई हमले के 30 मिनट के वाद ही उन्हें सूचित किया था। जयशंकर ने यह भी कहा कि उन्होंने पाकिस्तान से कभी वात नहीं की और अमेरिका के कथित ‘हस्तक्षेप’ के वारे में स्पष्ट किया कि सैन्य अभियान को रोकने का निर्णय पाकिस्तान की ओर से अनुरोध के वाद द्विपक्षीय रूप से लिया गया था।

मंत्री ने विदेश मामलों की सलाहकार समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिदूर’ को तभी रोका गया जव पाकिस्तान के डीजीएमओ ने इसे रोकने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि दोनों के वीच अमेरिकी मध्यस्थता का कोई सवाल ही नहीं है। कांग्रेस और राहुल गांधी, जयशंकर पर निशाना साधते हुए आरोप लगा रहे है कि उन्होंने आतंकी शिविरों पर भारतीय हमलों के वारे में पाकिस्तान को पहले ही सूचित कर दिया था।

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सूत्रों ने बताया कि मंत्री ने बैठक में सांसदों को वताया कि केवल दोनों देशों के डीजीएमओ ने एक-दूसरे से वात की और किसी अन्य भारतीय अधिकारी ने पाकिस्तानी पक्ष से वात नहीं की। उन्होंने कहा कि भारत से पाकिस्तान से वात करने का आग्रह करने वाले अमेरिका को बताया गया कि आतंकवाद और वातचीत एक साथ नहीं हो सकती। विदेश मंत्री ने बैठक के दौरान सांसदों द्वारा ‘ऑपरेशन सिदूर’ को रोकने और अमेरिकी ‘हस्तक्षेप’ के वारे में पूछे गए कई सवालों के जवाव में बताया कि डीजीएमओ ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को सूचित किया था कि अगर वे गोलीवारी करेंगे, तो भारत जवावी गोलीवारी करेगा।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकी शिविरों पर लक्षित हमलों ने पाकिस्तानी सेना के मनोवल को भी चोट पहुंचाई है। सूत्रों ने वताया कि मंत्री ने दुनिया भर में पाकिस्तान को ‘वेनकाव’ करने में सभी सांसदों से सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के एकजुट संदेश को दुनिया के सामने रखने के लिए सांसदों के बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों में भेजा है।

जयशंकर ने ‘एक्स’ पर विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति की वैठक की अध्यक्षता करते हुए तस्वीरें साझा की। मंत्री ने यह भी कहा, “ऑपरेशन सिदूर’ और आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ भारत की शून्य सहिष्णुता नीति पर चर्चा की । इस संबंध में एक मजबूत और एकजुट संदेश भेजने के महत्व को रेखांकित किया । ” विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बैठक में सांसदों के समक्ष ‘ऑपरेशन सिदूर’ पर एक प्रस्तुति दी, जबकि वाद में जयशंकर ने प्रश्नों के उत्तर दिए ।

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