लोकतान्त्रिक मूल्यों को पैरों तले कुचल रही भाजपा : अखिलेश यादव

इटावा के कथा वाचक के अपमान पर भड़के सपा प्रमुख

सपा ने पीड़ित कथावाचकों को मंच पर शॉल ओढ़ाकर व 21,000 रुपये देकर किया सम्मानित

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को भाजपा सरकार पर अव तक का सबसे तीखा हमला वोला । उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार अव कानून नहीं, जातीय दंभ से चलती है। इसमें न्याय नहीं, सिर्फ वर्चस्व है। संवैधानिक मर्यादाएं और लोकतांत्रिक मूल्य इस शासन के पैरों तले कुचले जा रहे हैं।

उन्होंने कहा ‘पीडीए समाज पर हो रहे हमले सत्ता प्रायोजित हैं । ‘ इटावा में यादव समाज के एक कथावाचक का सिर मुंडवाकर अपमानित करने की घटना का ज़िक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि यह कोई मामूली वारदात नहीं, यह भाजपा की गहरी साजिश है । पीडीए समाज की आवाज़ दवाने की, उसे डराने की और नीचा दिखाने की।

उन्होंने इसे ‘कथा वाचन पीडीए अपमान कांड’ की संज्ञा दी और सवाल उठाया, अगर कथावाचन पर सिर्फवर्चस्ववादी जातियों का ही अधिकार है तो भाजपा कानून बनाकर घोषित क्यों नहीं करती कि पीडीए समाज कथा नहीं कह सकता? उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि भाजपा वताए कि जो वर्चस्ववादी कथावाचक है, क्या वे कभी पीडीए समाज से चढ़ावा, दान या दक्षिणा लेने से इनकार करते है? अगर नहीं, तो फिर उन्हें ये हक दूसरों से छीनने का अधिकार किसने दिया?

अखिलेश ने भाजपा को ‘हिस्ट्रीशीटरों की पार्टी’ कहते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने खुद पर लगे केस वापस लिए, उपमुख्यमंत्री ने केस वापस लिए, फिर जनता से कैसी नैतिकता की उम्मीद रखते है? उन्होंने सवाल किया कि जव सत्ताधारी खुद कानून को ठेंगा दिखाएं तो आम आदमी कहां न्याय मांगे ?

कौशांवी की घटना का उदाहरण देते हुए अखिलेश ने कहा कि एक दलित वेटी के साथ अपराध होता है और इनाम घोषित कर उसके पिता को ही जेल भेज दिया जाता है। क्या यही है भाजपा का न्याय? श्री यादव ने कहा कि भाजपा की सरकार नहीं, यह ब्राह्मणवादी सत्ता संरचना है। सपा प्रमुख ने स्पष्ट कहा कि भाजपा अव एक राजनीतिक दल नहीं, वल्कि वर्चस्ववादी जातियों की सत्ता संरचना का प्रतिनिधि वन गई है। उन्होंने कहा कि पीडीए समाज की चेतना और एकता अव इन सामंती प्रवृत्तियों को तोड़ देगी। जिस दिन पीडीए ने अपनी कथा कहनी शुरू की, उसी दिन इनका जातिवादी साम्राज्य ढह जाएगा।

अखिलेश यादव ने कहा कि मंत्री नहीं, संघर्ष का सिपाही हूं। उन्होंने पीड़ित कथावाचकों को मंच पर शॉल ओढ़ाकर और ₹21,000 की सम्मान राशि देकर कहा, ‘यह सम्मान सिर्फ व्यक्तियों का नहीं, बल्कि उस समाज का है जिसे भाजपा कुचलना चाहती है। मै उनके साथ हूँ सड़क से सदन तक। उन्होंने भाजपा को चेताते हुए कहा कि वक्त वदल रहा है । अव पीडीए समाज न अपमान सहेगा, न चुप रहेगा। भाजपा की ये कुटिल रणनीतियां 2024 की तरह 2027 में भी करारी हार की वजह वनेंगी।

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