डॉ. उदयनाथ को सौंपी गई सीएमओ की जिम्मेदारी
कानपुर। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच चल रहे विवाद का पटापेक्ष आखिरकार शासन ने गुरुवार को कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना सहित तीन विधायकों की पैरवी भी सीएमओ को नहीं बचा सकी और शासन ने उन्हे निलम्बित करते हुए महानिदेशालय से संबद्ध कर दिया है। शासन ने कानपुर में डा. उदयनाथ को मुख्य चिकित्साधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी है।
कानपुर के जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बीते तीन फरवरी को रामादेवी स्थित सीएमओ दफ्तर से लेकर मान्यवर काशीराम ट्रामा सेंटर पहुंचकर निरीक्षण किया था। इस दौरान सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी समेत 34 कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए थे। इस पर डीएम ने सभी का एक दिन का वेतन रोकने का आदेश दिया था। डीएम ने कार्रवाई से जुड़ा अपना बयान भी सोशल मीडिया पर जारी किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि जिम्मेदार पद पर बैठे सीएमओ जब ईमानदारी से अपना काम नहीं करेंगे तो बाकी अधिकारी क्या करेंगे? इसके बाद से लगातार डीएम ने सीएचसी और पीएचसी का
निरीक्षण किया।
यहां कई तरह की अनियमिताएं पाई गयीं। खामियों के चलते डीएम ने सीएमओ को हटाने के लिए शासन को पत्र लिखा। इसी बीच सीएमओ हरिदत्त नेमी के दो ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिनमें वह डीएम के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए सुनाई दिए। हालांकि सीएमओ ने इससे इंकार किया है।
विवाद बढ़ा तो सीएमओ ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मुलाकात की महाना ने सीएमओ की पैरवी करते हुए 11 जून को उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को पत्र लिखा। सीएमओ के समर्थन में एमएलसी अरुण पाठक ने 14 जून और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने 15 जून को पत्र लिखकर उन्हें शहर में बनाये रखने का आग्रह किया। मामला शासन तक पहुंचा तो यह कार्रवाई की गयी ।
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