हाईकोर्ट ने कहा: जिसके शरीर के टुकड़े पटरी पर बिखरे हों उससे टिकट कैसे मांग सकते हैं

इंदौर। हाईकोर्ट ने एक अपील को स्वीकार करते हुए रेलवे विभाग को आदेश दिए हैं कि ट्रेन से गिरकर कटने से मृत व्यक्ति की पत्नी और दो बच्चों को ब्याज सहित मुआवजा राशि अदा करें। 1 जून 2014 को अर्जुन पाल ट्रेन द्वारा महू से रतलाम यात्रा कर रहा था। भारी भीड़ के कारण जब वह उतर रहा था, तभी चलती ट्रेन की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई।

उसकी पत्नी बिंदु पाल, बेटे तुशाल व बेटी तेजस्वी की ओर से मुआवजा मांगा गया तो रेलवे ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि मृतक के पास रेलवे टिकट नहीं मिला, इसलिए उसे प्रमाणित यात्री नहीं माना जा सकता। इस पर रेलवे ट्रिब्यूनल भोपाल में केस लगाया तो दो सदस्यीय ट्रिब्यूनल का अलग-अलग निर्णय आया।

एक सदस्य ने मुआवजा राशि देने की बात कही, दूसरे ने यह मांग रिजेक्ट कर दी। इसके बाद दिल्ली ट्रिब्यूनल ने भी मुआवजे की मांग अमान्य कर दी। इस पर एडवोकेट ऋषि तिवारी के जरिए हाईकोर्ट में अपील दायर की। हाईकोर्ट ने कहा कि जब मृतक के शरीर के अंग रेलवे ट्रैक पर बिखरे हों तो उसके पास रेलवे टिकट कैसे मिल सकता है। जस्टिस प्रेमनारायण सिंह की बेंच ने रेलवे को आदेशित किया कि मृतक के परिजन को 8 लाख रु. मुआवजा राशि ब्याज सहित आठ सप्ताह में अदा करें।

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