नई दिल्ली। भारत में 2032 तक सबसे अच्छी स्थिति में भी 12.3 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सड़कों पर होंगे। मंगलवार को जारी इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस (आईईएसए) और कस्टमाइज्ड एनर्जी सॉल्यूशंस (सीईएस) की रिपोर्ट में यह कहा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरण अनुकूल विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम और 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने की आवश्यकता है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और 2030 के लिए निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्य – 30 प्रतिशत sa को समर्थन किया जा सकेगा।
इस तीव्र वृद्धि को सहायक सरकारी नीतियों, जैसे कि फेम-2 योजना द्वारा बढ़ावा मिला है, जो सार्वजनिक चार्जिंग वुनियादी ढांचे लिए पूंजी सब्सिडी के साथ- साथ इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए मांग प्रोत्साहन प्रदान करती है। यह राष्ट्रीय ईवी लक्ष्य (एनईवी) परिदृश्य के अनुरूप है, जो पर्यावरण अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देने और कार्वन उत्सर्जन को कम करने के लिए देश की प्रतिवद्धता को दर्शाता है।
एनईवी परिदृश्य ‘ईवी30एट30′ महत्वाकांक्षा पर आधारित है, जिसमें यह माना गया है कि 2030 तक, इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए ईवी की पहुंच 80 प्रतिशत, निजी इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों के लिए 30 प्रतिशत, वाणिज्यिक कारों के लिए 70 प्रतिशत और इलेक्ट्रिक बसों के लिए 40 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।’भारत इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर मार्केट ओवरव्यू’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में देश के बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परिदृश्य पर इस बदलाव के संभावित प्रभाव को रेखांकित किया गया है।
रिपोर्ट ने वताया गया कि भारत में 2024 में सड़कों पर ईवी खंड में इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 93 प्रतिशत से अधिक रही । इसके विपरीत, इलेक्ट्रिक चारपहिया वाहनों की हिस्सेदारी लगभग छह प्रतिशत थी, जबकि इलेक्ट्रिक बस और ट्रक की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम थी।सीएस के प्रबंध निदेशक (एमडी) विनायक वलिम्बे ने कहा, “साल 2032 तक, आईईएसए और सीईएस का अनुमान है कि भारत का सड़क पर चलने वाला ईवी की संख्या लगभग 4.9 करोड़ तक पहुंच सकती है।’
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