नई दिल्ली। क्या यह अमेरिका के दबाव का असर है या वैश्विक नीति का हिस्सा — यह कहना अभी मुश्किल है, लेकिन भारत नवंबर के अंत से रूस से कच्चे तेल की सीधी खरीद में कटौती करने जा रहा है। माना जा रहा है कि इससे भारत में रूसी कच्चे तेल का आयात नवंबर के अंत से घट सकता है। यह फैसला रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर 21 नवंबर से लागू होने वाले नए अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद लिया जा रहा है।
विश्लेषकों के अनुसार, भारत के कुल रूसी तेल आयात में आधे से अधिक हिस्सा रखने वाली प्रमुख भारतीय रिफाइनरी कंपनियां — रिलायंस इंडस्ट्रीज, मंगलौर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी — नए अमेरिकी प्रतिबंधों के अनुपालन में रूसी तेल की प्रत्यक्ष खरीद में कटौती कर सकती हैं।
अमेरिका ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल, पर 21 नवंबर से कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
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इन प्रतिबंधों के तहत इन कंपनियों की सभी अमेरिकी संपत्तियों और वित्तीय लेनदेन पर रोक लगा दी जाएगी। साथ ही, जो विदेशी संस्थाएं इनके साथ बड़े लेनदेन करेंगी, उन पर भी द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। नौवहन सूचना फर्म केप्लर के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने बताया कि 21 नवंबर के बाद रूसी कच्चे तेल की खेपों में गिरावट देखी जा सकती है।
अधिकांश भारतीय रिफाइनरी अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन करते हुए रोसनेफ्ट और लुकोइल से सीधी खरीद घटाएंगी या पूरी तरह रोक देंगी। इस कदम से न केवल भारत की ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ सकता है, बल्कि वैश्विक तेल बाजार में भी अस्थिरता बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
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