भारत आसमान में तैनात करेगा जासूस, अंतरिक्ष क्षमता होगी मजबूत

सुरक्षा कवच अगले पांच सालों में 52 जासूस सैटेलाइट का ग्रुप होगा लॉन्च

नई दिल्ली। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारतीय सेना पाकिस्तान में उसके नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। इस बीच, भारत ने अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए एक अहम कदम उठाया है। भारत अपनी स्पेस बेस्ड डिफेंस कैपेबिलिटी को मजबूत करने के लिए अगले पांच सालों में 52 जासूस सैटेलाइट्स का एक ग्रुप लॉन्च करेगा। इसकी पुष्टि दिल्ली में ग्लोबल एसप्लोरेशन अंतरिक्ष कॉन्फ्रेंस 2025 के दौरान इंडियन नेशनल स्पेस प्रोमोशन और प्राधिकरण केंद्र (आईएन-स्पेस ) के चीफ पवन कुमार गोयनका ने की।

ये सैटेलाइट आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को दुश्मन की हरकतों पर नजर रखने, बॉर्डर की निगरानी करने और सही वक्त में मिलिट्री ऑपरेशंस का कोऑर्डिनेशन करने में मदद करेंगे। गोयनका ने बताया ‘हमारे पास पहले से ही काफी मजबूत क्षमताएं हैं, बस उन्हें लगातार बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि आधे सैटेलाइट इसरो द्वारा विकसित किए जाएंगे, जबकि बाकी प्रोइवेट संस्था द्वारा बनाए जाएंगे।

‘लॉन्च-ऑन-डिमांड मिशन के लिए खास
जबकि इसरो से प्राइवेट इंडस्ट्री को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) तकनीक का ट्रांसफर शामिल है। एसएसएलवी न्यूनतम टर्नअराउंड और बुनियादी ढांचे के साथ 10-500 किलोग्राम वजन वाले सैटेलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने में स्किल्ड हैं। यह क्षमता इमरजेंसी हालत के दौरान तुरंत प्रतिक्रिया स्थितियों और ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड मिशनों के लिए खासतौर पर अहम है।

गोयनका ने संकेत दिया कि एसएसएलवी तकनीक ट्रांसफर एडजासेंट है, जो यह दर्शाता है कि इसे अगले पखवाड़े में औपचारिक रूप दिया जा सकता है। वहीं, गोयनका ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि आईएन-स्पेस सैटेलाइट तैनाती का नेतृत्व कर रहा है, लेकिन निगरानी कामों के संबंध में आगे का फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय और रक्षा बलों पर निर्भर करेगा।

भारत के लिए कितना अहम
एक बार चालू हो जाने पर, 52 सैटेलाइट वाला नेटवर्क संवेदनशील क्षेत्रों को लगातार कवरेज करेगा और भारत की प्रिवेंटिव स्टेटस को मजबूत करेगा।

ऐलान का वक्त
यह रणनीतिक कदम ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर उठाया गया है। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पीओके में आतंकी शिविरों पर सटीक हमला किया। इस हमले में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। ऐसे तनावपूर्ण वक्त के दौरान इस तरह के फैसले भारतीय सेना की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने में फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

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