सुप्रीम कोर्ट:आंखों की कम रोशनी वाली महिला बनेगी दीवानी जज

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को दिया नियुक्त करने का निर्देश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह सामान्य श्रेणी में आंखों की कम रोशनी वाली एक महिला को राज्य में दीवानी न्यायाधीश (कनिष्ठ संभाग)) के पद पर नियुक्त करे । न्यायमूर्ति वीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीशचंद्र शर्मा की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए हाईकोर्ट से कहा कि वह सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से ताल्लुक रखने वाली रेखा शर्मा को या तो दीवानी न्यायाधीश (कनिष्ठ संभाग) के रूप में नियुक्त करे या (उनकी खातिर ) एक अतिरिक्त सीट सृजित करे।

संविधान का अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत को किसी भी मामले में ‘पूर्ण न्याय’ सुनिश्चित करने के लिए कोई भी आदेश पारित करने के लिए व्यापक अधिकार प्रदान करता है। अधिसंख्य सीट भविष्य में रोजगार प्रदान करने के लिए स्वीकृत पदों के अतिरिक्त एक सीट है। दृष्टिहीनता और आंखों की कम रोशनी वाले व्यक्तियों के लिए दो पद आरक्षित किए है। शर्मा को ( प्रतियोगी परीक्षा में) 119 अंक मिले थे, जो दृष्टिवाधित और कम दृष्टि वाले उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम योग्यता अंकों से अधिक थे, उसके वाद भी उन्हें न्यायिक अधिकारी के रूप में नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया।

कुल नौ रिक्तियों के मुकावले पीडब्ल्यूवीडी श्रेणी में केवल दो उम्मीदवारों का ही चयन किया गया और शर्मा को सेवा में शामिल किया जा सकता था। पीठ ने शर्मा की इन दलीलों पर गौर किया कि हाईकोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षित सीट दिव्यांग और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार को दे दी, जिन्हें उनकी अपनी आरक्षित श्रेणी में शामिल ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 142 के किया जा सकता था। न्यायमूर्ति नागरत्ना उद्देश्य और मंशा को ध्यान में रखते हुए, हम निर्देश देते है कि याचिकाकर्ता को दीवानी न्यायाधीश (कनिष्ठ संभाग) के रूप में नियुक्त किया जाए। पीठ ने कहा, ऐसा या तो अतिरिक्त सीट बनाकर किया जाए या विकलांग उम्मीदवारों के लिए खाली पदों पर उम्मीदवार को समायोजित करके किया जाए और अगले चक्र में उसे आगे बढ़ाया जाए।

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