श्रीरामलला का हुआ सूर्यतिलक, हुआ सूर्यतिलक, जयकारों से गूंज उठी रामनगरी

अयोध्या। श्रीरामनवमी की तिथि में श्रीरामजन्म की शुभ वेला आयी। पूरी नगरी श्रीराम जन्मोत्सव के उल्लास में डूबी रही। घड़ी की सुई में मध्याह्न ठीक 12 वजते ही अपने भव्य मंदिर में विराजमान श्रीरामलला का प्राकट्योत्सव हुआ। भये प्रगट कृपाला, दीनद्याला..’ की मधुर धुनियों से पूरा वातावरण गुंजायामन हो गया । रवि पुष्य नक्षत्र में सर्वार्थ सिद्धि व सुकर्मा योग के अद्भुत संयोग में सूर्यवंशी प्रतापी वालक श्रीराम के प्रतीकात्मक जन्मोत्सव पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी रहीं। श्री दशरथ नंदन के ललाट पर सूर्य की किरणों का अभिषेक सर्वाधिक आकर्षक रहा।

स्वर्ण मुकुट धारण किये वेशकीमती रत्नजड़ित पीत वस्त्र व आभूषणों में सुशोभित मनमोहक छवि में श्रीरामलला के मस्तक पर तिलक लगातीं सूर्य किरणों के पल का दर्शन पाकर हर कोई धन्य हो गया । ‘दशरथ पुत्रजन्म सुनि काना, मानहु ब्रह्मानंद समाना’ की गूंज श्रीराम मंदिर से लेकर महानगरी की गलियों में समायी रहीं। इस अनूठे पल का साक्षी वनने को आतुर देश- विदेशवासी रामभक्त आह्लादित हो उठे। श्रीराम मंदिर में प्रभु की झलक पाने की तृष्णा लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही । ड्रोन से मां सलिला सरयू के पवित्र जल की पड़तीं फुहारें श्रद्धालुओं के तन-मन को भिगोती रहीं । इस महोत्सव में धर्म, अध्यात्म और पुरातन संस्कृति की संवाहक अयोध्या नगरी में पुण्य कमाने पहुंचा हर कोई तृप्त नजर आ रहा था।

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रामनगरी में चहुंओर आराध्य के जन्मोत्सव की खुशी छायी रही। रविवार को सुवह से राम मंदिर परिसर में विविध आयोजन शुरू हो गये। रामनगरी में भक्तों की कतारें लगी रहीं । विचरण करती भगवान भास्कर की तेजमयी रश्मियां घड़ी की सभी सुइयों के इकट्ठे होते ही जैसे ही वालक श्रीरामलला के ललाट पर प्रतिष्ठित हुईं, प्रभु के समक्ष उपस्थित श्रद्धालु प्रसन्नता से झूम उठे। गगनभेदी जयकारों ने अयोध्या समेत पूरे विश्व को गुंजायमान कर दिया। जो अयोध्या नहीं पहुंच सके, उन सवने अपने स्थान पर ही श्रीरामलला के महामस्तकाभिषेक का सीधा प्रसारण देखा।

श्रीराम जन्मोत्सव की धूम के बीच सुवह छह वजे ही राम मंदिर खुल गया। सुबह से देर शाम तक राम जन्मोत्सव के रस में पूरी नगरी गोते लगाती रही। सुवह 9.30 से 10.30 बजे तक भगवान श्रीराम अभिषेक, 10.30 से श्रृंगार, भगवान को नवीन वस्त्र धारण, 11.30 वजे छप्पन व्यंजनों का भोग, 12 वजे भगवान के जन्मोत्सव की आरती और ठीक उसी समय से चार मिनट तक रामलला का सूर्य तिलक तक की विखरती छटाओं के पल-पल को हर कोई अपने मन में उतारने में लगा रहा। अयोध्या के मठ मंदिरों में वज रही वधाइयां व सोहर गीतों में लोग भी श्रीरामलला के जन्म महोत्सव में मगन रहे। धनिया से वने प्रसाद के साथ फलाहारी लड्डुओं का प्रसाद पाकर श्रद्धालु राममय हो गये ।

75 मिमी टीके में सूर्य किरणों ने किया अभिषेक

श्रीरामलला की ललाट पर सूर्य की किरणों का तिलक कराने के लिए आधुनिक वैज्ञानिक विधि अपनायी गयी। आईआईटी रुड़की और चेन्नई के विशेषज्ञों की टीम ने इसे सफल कर दिखाया। इसमें श्रीराम मंदिर ऊपरी तल पर दर्पण स्थापित किया। उस पर सूर्य की किरणें पड़ीं तो परावर्तित होकर पीतल के पाइप में पहुंचीं। फिर पाइप में लगे दर्पण से टकराकर किरणें 90 डिग्री कोण में वदल गयीं। लंववत पीतल के पाइप में लगे तीन लेंसों से किरणें आगे वढ़ते हुए गर्भगृह में लगे दर्पण से टकरायीं । यहां से 90 डिग्री का कोण बनाकर प्रकाश पुंज के रूप में भगवान के मस्तक पर 75 मिमी में टीके के रूप में चार मिनट तक टिकी रहकर सुशोभित करती रहीं।

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