नई दिल्ली । पिछले कुछ सालों से कई देशों के बीच युद्ध जारी है जिसमें जंग लड़ रहे देश एक-दूसरे को परमाणु हमले की धमकी देते हैं। आखिरी बार जापान में हुए परमाणु हमले में 1 लाख से भी ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी थी जिसका सबसे बड़ा कारण था इससे निकलने वाला रेडिएशन, जो बहुत लंबे समय तक अपनी छाप छोड़े रखता है। परमाणु हमले के बाद होने वाले रेडिएशन के खतरे से बचने के लिए भारत में बनी स्वदेशी एंटीडोट अब तैयार हो गई है। देश में पहली बारयह गजब का कारनामा डीआरडीओ ने कर दिखाया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने इसे दिल्ली में तैयार
किया है।
डीआरडीओ की कामयाबी
डीआरडीओ की दिल्ली स्थित प्रयोगशाला इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूलियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज ने इस स्वदेशी एंटीडोट को तैयार किया है। न्यूलियर रेडिएशन से बचाने वाली इस दवा को दवा नियामक (ड्रेग रेगुलेटर) ने भी अपनी मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि रेडिएशन से बचने के लिए अभी तक विदेशों से ही दवाएं मंगवाई जाती थी।
इमरजेंसी में महत्वपूर्ण
इस दवा का इस्तेमाल किसी भी परमाणु इमरजेंसी में किया जा सकता है। यह इमरजेंसी तब होती है जब परमाणु बिजली संयंत्र या न्यूलियर पॉवर प्लांट से किसी कारण से रेडिएशन का रिसाव हो जाता है। ऐसे में इस दवा का एंटीडोट आपके स्वास्थ्य की रक्षा करने में सक्षम हो सकता है। साथ ही यह स्वदेशी एंटीडोट युद्ध के दौरान रक्षा कर्मियों के लिए भी फायदेमंद हो सकता हैं योंकि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से इसका सबसे अधिक खतरा रहता है।
परमाणु कचरे से खतरा
या आप जानते हैं कि परमाणु कचरा भी हमारी जान का दुश्मन बन सकता है। न्यूलियर वेस्ट में सीजियम पाया जाता है एक रेडियोधर्मी तत्व है, जिसे परमाणु रिएटरों द्वारा उत्पादित कचरे से निकाला जाता है। साथ ही इसका इस्तेमाल अस्पतालों में भी किया जाता है। अस्पतालों में इमेजिंग तकनीक में थैलियम का इस्तेमाल होता है। डीआरडीओ द्वारा विकसित ये एंटीडोट बाजार में प्रू-डिकोर्प के नाम से मिलेगी।
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