बड़ों का डायबिटीज अब बच्चों में स्कूलों में बनाए जाएंगे शुगर बोर्ड

दस साल में मामलों में काफी बढ़ोत्तरी, सरकार चिंतित

भोपाल। अब तक बड़ों को होने वाला टाइप टू डायबिटीज बच्चों को भी तेजी से चपेट में लेने लगा है। बीते दस साल में बच्चों में इस बीमारी के मामलों में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। इससे चिंतित स्कूल शिक्षा विभाग सकारात्मक पहल करने जा रहा है। बच्चों को घातक रोग से बचाने के लिए हर स्कूल में शुगर बोर्ड खोले
जाएंगे। यह बोर्ड बच्चों को जागरूक कर डायबिटीज से बचने के तरीके बताएगा।

इस संबंध में अपर संचालक रविंद्र कुमार सिंह ने सोमवार को आदेश जारी कर दिए हैं। बड़ों में देखी जानी वाली टाइप टू डायबिटीज पिछले दशक से बच्चों को बड़ी संया में चपेट में लेने लगी है। इस घातक बीमारी के लिए मुख्य रूप से बहुत अधिक मात्रा में चीनी का सेवन जिमेदार है, जो अक्सर स्कूल और आसपास सरलता से उपलब्ध मीठे स्नैक्स, पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड पदार्थों के उपयोग के कारण होता है। चीनी के अत्यधिक सेवन से न केवल मधुमेह का खतरा बढ़ता है बल्कि मोटापा, दांतों से संबधित समस्या और अन्य पाचन संबंधी विकार भी होते हैं जो बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं।

इसे लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उक्त समस्या के समाधान के लिए सभी स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड स्थापित करने की अनुशंसा की है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को अत्यधिक चीनी के सेवन के खतरों के बारे में शिक्षित करना है। इन बोर्डों में अनुशंसित दैनिक चीनी सेवन, आमतौर पर खाये जाने वाले खाद्य पदार्थों (जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स आदि अस्वास्थ्यकर भोजन) में चीनी की मात्रा, चीनी की खपत, स्वास्थ्य जोखिम, स्वस्थ्य आहार विकल्पों के, दीर्घकालिक लाभों के संबंध में जानकारी प्रदान करना है। बच्चों में बढ़ रही मधुमेह की समस्या के कारण एवं उपाय के संबंध में जागरूकता के लिए कार्यशालाएं करना है।

आयोग के पत्र के बाद अपर संचालक लोक शिक्षण रविंद्र कुमार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं। जारी आदेश में लिखा है कि बच्चों में टाइप-2 मधुमेह की बीमारी से बचाव के लिए जिले के सभी स्कूलों के प्रमुखों को पत्र जारी कर स्कूल में ‘शुगर बोर्ड स्थापित कर कार्यशालाएं आोयजित की जाएं। स्कूलों में शुगर बोर्ड के गठन व कार्यशालाओं की जानकारी तीस दिन में अनिवार्य रूप से स्कूलों को भेजना भी है।

या होती है टाइप दो डाइबिटीज
टाइप 2 मधुमेह एक दीर्घकालिक स्थिति है जो तब होती है जब आपके रत में शर्करा का स्तर लगातार उच्च (हाइपरग्लाइसेमिया) रहता है।स्वस्थ रत शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर 70 से 99 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर होता है। यदि आपको टाइप 2 मधुमेह का निदान नहीं हुआ है, तो आपका स्तर आमतौर पर 126 मिलीग्राम प्रति
डेसीलिटर या उससे अधिक होता है।

लक्षण और कारण
टाइप टू डायबिटीज के लक्षणों में अधिक प्यास लगना, बार-बारपेशाब आना, थकान, अधिक भूख लगना, हाथों या पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन होना, धुंधली दृष्टि, शुष्क त्वचा आदि शामिल हैं। टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होते हैं। उपचार के बिना, टाइप २ डायबिटीज हृदय रोग, किडनी रोग और स्ट्रोक जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। जीवनशैली में बदलाव करके, दवाएं लेकर और नियमित जांच से बीमारी पर काबू पा सकते हैं।

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