भारत में स्टारलिक को लाइसेंस, मिलेगी सैटेलाइट बेस्ड सर्विस 

लॉन्चिंग के करीब कंपनी, 840 रुपए में महीनेभर मिलेगा अनलिमिटेड डेटा

नई दिल्ली | इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में ऑपरेट करनेके लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस मिल गया है। अब उसे सिर्फ इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर यानी, इन-स्पैस के अप्रूवल का इंतजार है। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। स्टारलिंक तीसरी कंपनी है जिसे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ऑपरेट करने का लाइसेंस मिला है। इससे पहले वनवेब और रिलायंस जियो को मंजूरी मिली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्टारलिंक भारत में 840 रुपए में महीनेभर अनलिमिटेड डेटा देगा। आधिकारिक तौर पर मस्क की कंपनी ने इसकी जानकारी नहीं दी है।

2020 में इन-स्पैस स्थापित किया था
डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस नपे जून 2020 में इन-स्पैस को स्थापित किया था। यह स्पेस एक्टिविटीज में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को रपेगुलेट करने और उसे सुविधाजनक बनाने के लिए सिगल-विंडो एजेंसी कपे रूप में काम करती है । इन-स्पैस नॉन गवर्नमेंटल एंटिटीज कपे लिए लाइसेंसिग, इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग और स्पेस बेस्ड सर्विसेज को बढ़ावा देने का काम भी करती है।

कंपनी को जल्द जारी किए जाएंगे ट्रायल
स्पेक्ट्रमडिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशंस (डीओटी) ने एलन मस्क की कंपनी स्टारलिक को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट परमिट जारी किया है। साथ ही, आने वाले दिनों में कंपनी को ट्रायल स्पेक्ट्रम भी इश्यू किए जायेंगे। स्पेक्ट्रम आवंटित होने के बाद कंपनी को सिक्योरिटी कंडीशंस समेत सभी कंप्लायंसेज सरकार को प्रदर्शित करन र्शि पे होंगपे। स्टारलिक को स्पेस रेगुलेटर इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथरजेशन सेंटर से भी मंजूरी लेनी होगी। कंपनी ने क्लीयरेंस हासिल करने के लिए सभी डीटेल्स पहले ही उपलब्ध करा दिए हैं, लेकिन अभी मंजूरी नहीं मिली है । कमर्शियल सेवाओं का लॉन्च कंपनी की तरफ सिक्योरिटी कंडीशंस कंप्लायंसेज के सफलतापूर्वक प्रदर्शन पर निर्भर करेगा।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा
स्टारलिक पर बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिंया ने कहा था स्टारलिक की सैटेलाइट सर्विस टेलीकम्युनिकेशन के गुलदस्ते में एक नए फूल की तरह है । पहले के समय में सिर्फ फिक्स्ड लाइन्स थी और उन्हें भी मैन्युअली रोटेट करना पड़ता था। आज हमारे पास ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के साथ मोबाइल कनेक्टिविटी भी है । ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी को भी स्थापित कर
दिया गया है। सैटेलाइट कनेक्टिविटी बहुत जरूरी है, क्योंकि रिमोट एरिया में हम तार नहीं बिछा सकते हैं या टावर नहीं लगा सकते हैं, यहां पर कनेक्टिविटी को सिर्फ सैटेलाइट से ही बेहतर किया जा सकता है।

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