20 साल पुरानी मिली भूलभुलैया, जिसमें छिपी है गुप्त दुनिया

पिरामिड के नीचे एक विशाल संरचना की खोज का दावा, 3000 कमरे और कई रास्ते होने की संभावना

मिश्र। पिरामिडों के देश मिस्र से आए दिन चौंकाने वाली खबर सामने आती रहती हैं। अब यहां के एक पिरामिड के नीचे एक विशाल संरचना की खोज कादावा किया गया है। इसमें 3,००० कमरे और कई रास्तें हैं, जो भूलभुलैया जैसी है। यह दावा 2023 के एक पेपर में किया गया था, जिसका शीर्षक था ‘द लेबिरिंथ, द कोलोसी, एंड द लेक’। लेखकों का कहना है कि उन्हें इस बात के सबूत मिले हैं कि मिस्र में हवारा के नीचे बहुत बड़ा भूमिगत चेंबर है।

हालांकि, यह पिरामिड गीजी की पिरामिडों जैसा नहीं दिखता है, लेकिन यह उतना ही विशाल और रहस्यमय है। माना जाता है कि ये इमारतें प्राचीन मिस्रवासियों से बहुत पहले बनाई गई थीं। इतिहासकार और जियोग्राफर हेरोडोटस ने भी 2,500 साल पहले भूलभुलैया के बारे में बात की थी। हालांकि, एसपर्ट्स का कहना है कि सालों से इस्तेमाल की जाने वाली डेटिंग मेथड्स मिस्र में जमीन के नीचे ऐसे कमरों की मौजूदगी की पुष्टि नहीं करती हैं।

लेकिन कई एसपर्ट्स अब नई तकनीक का इस्तेमाल करके यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि या मिस्र के नीचे कोई भूमिगत भूलभुलैया है या फिर ये अस्तित्व में था या नहीं। इसके लिए खास तकनीक ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार और सैटेलाइट स्कैन का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि उन्हें यह पता चल सके इसके नीचे आखिर या है?

सालों पहले रेत के नीचे दब गया था , कुछ हिस्से अतिक्रमणकारियों ने किए नष्ट

माना जाता है कि सालों से यह रेत के नीचे दब गया है और इसके कुछ हिस्से आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट कर दिए गए हैं। हवारा का पिरामिड गीजा पिरामिड जितना शानदार नहीं दिखता है, लेकिन इसमें तीन विशाल पत्थर के ब्लॉकों से बना एक मेगालिथिक कोर बड़े पत्थर के स्मारकों का एक समूह है। रिपोर्ट और रिकॉर्ड बताते हैं कि ये चट्टानें दरवाजे के जाल की तरह थीं जो प्राचीन सिक्योरिटी सिस्टम की तरह रास्तों को बंद कर देती थीं।

रहस्य अभी भी अनसुलझा

वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि अगर उनके पास सही सपोर्ट सिस्टम होता, तो वे इस भूमिगत परिसर की खोज कर सकते थे, जबकि इसके बारे में सिर्फ किताबों में बात की गई है, लेकिन कभी कुछ नहीं मिला है। कुछ रिसर्चर का कहना है कि पिरामिडों का ईस्टर द्वीप के पत्थर के दिग्गजों से रहस्यमय संबंध हो सकता है, योंकि इन दोनों जगहों पर ही जमीन के ऊपर विशाल पत्थर की संरचनाएं मौजूद हैं और कोई भी

उनके मकसद के बारे में पूरी तरह से निश्चित नहीं है। हालांकि, कुछ पिरामिडों को कब्र माना जाता था, लेकिन सभी को नहीं। या दोनों सभ्यताओं में कोई समानता थी? रहस्य अभी भी सुलझना बाकी है।

हेरोडोटस का दावा

प्राचीन इतिहासकारों ने भूलभुलैया और उसके कमरों के बारे में लिखा है। हेरोडोटस ने यह भी दावा किया कि भूलभुलैया ‘भव्यता में पिरामिडों से भी आगे निकल गई, लेकिन उन पर वैज्ञानिक सहमति नहीं बन पाई है। दरअसल, हेरोडोटस ने पहली बार 500 ईसा पूर्व के आसपास मिस्र का दौरा किया था और उन्हें ऊपरी भूलभुलैया दिखाई गई थी। हालांकि, उन्हें जमीन के नीचे नहीं जाने दिया गया था। उन्होंने जो देखा और जो उन्हें नहीं दिखाया गया, उसके आधार पर हेरोडोटस ने दावा किया कि वहां 3,000 रूम थे।

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