वैज्ञानिकों ने खोजा 1,10,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार वाला शक्तिशाली जॉबी तारा
नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा से 1,10,००० मील प्रति घंटे की खतरनाक रफ्तार से गुजरने वाले बेहद शक्तिशाली जॉबी तारे की खोज की है। इस जॉबी तारे का सबसे खतरनाक बात ये है कि इसमें ऐसा खतरनाक मैग्नेटिक फील्ड है जो मनुष्यों को चीरकर उनके टुकड़े-टुकड़े कर के सैकड़ों मील दूर बिखेर सकता है। जाबी तारा एक मैग्नेटर है, जिसे एसजीआर 0501+4516 कहा जाता है। यह एक न्यूट्रॉन तारा है जिसमें एक कमांडिंग चुंबकीय क्षेत्र होता है।
न्यूट्रॉन तारे मृत तारों के अवशेष होते हैं, जो छोटे ग्रहों के आकार में ढह गए हैं लेकिन उनका द्रव्यमान सूर्य जैसे तारों के बराबर है। ये उन्हें ब्लैक होल के बाद अंतरिक्ष में सबसे सघन ब्रह्मांडीय पिंड बनाता है। जॉबी स्टार हमारी आकाशगंगा में मौजूद 30 मैग्नेटर्स में से एक है, जिसकी खोज 2008 में हुई थी। उस समय ये धरती से करीब 15,000 प्रकाश वर्ष दूर था, हालांकि अभी 10 दिन पहले एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिकस में प्रकाशित नई स्डटी रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने एसजीआर 0501+4516 के बाद के दृश्यों के विश्लेषण के बात ये नतीजा निकाला गया कि ये आकाशगंगा में अपेक्षा से कहीं ज़्यादा तेज रतार से घूम रहा है।
जॉबी स्टार इंसानों को खत्म कर सकता है
एसपर्ट्स के मुताबिक, एसजीआर 0501+4516 का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की सुरक्षा कवच से लगभग 100 ट्रिलियन गुना ज़्यादा शक्तिशाली है। नासा ने अपने एक बयान में कहा था कि अगर ये पृथ्वी के पास से चंद्रमा की आधी दूरी से भी उड़ता है, तो इसका तीव्र मैग्नेटिक फील्ड हमारे ग्रह पर मौजूद हर क्रेडिट कार्ड को नष्ट कर देगा। वहीं अगर कोई मनुष्य इसके दायरे के 600 मील के भीतर पहुंच जाता है, तो पलक झपकते ही मौत के मुंह में समा जाएगा। मैग्नेटर उस खौफनाक घटनाक्रम को ऐसी साइंस स्टोरी बताएगा जिसमें एक किरण इतनी खतरनाक बन जाएगी, जो शरीर के अंदर मौजूद हर परमाणु को नष्ट कर देगा।
मरते हुए तारे से बना मैग्नेटर्स
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक शोधकर्ता ये मानते थे कि मैग्नेटर्स का निर्माण मरते हुए तारों के विस्फोट से हुआ था, जो बाद में न्यूट्रॉन तारों में बदल गए। हालांकि इस एसजीआर 0501+4516 के आसपास के क्षेत्र में हुई रिसर्च में पता चला कि ये जॉबी स्टार बेतहाशा तेज रफ़्तार से गलत दिशा में आगे बढ़ रहा है। इससे पहले मैग्नेटर के प्रक्षेप पथ यानी रूट की पड़ताल के दौरान पता था कि कोई अन्य सुपरनोवा अवशेष या विशाल तारा समूह नहीं था, जिसके साथ इसे जोड़ा जा सके. नई स्टडी के नतीजों को काफी अहम माना जा रहा है।
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