नहीं चला ट्रंप का दांव सरकार ने अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया
नई दिल्ली । वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मचाने वाले ट्रंप सरकार के पारस्परिक शुल्क के फैसले पर अमेरिकी अदालत ने रोक लगा दी है। अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय व्यापार अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वर्ष 1977 में बना अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (आइईईपीए) ट्रंप को इस प्रकार से आयात शुल्क लगाने की इजाजत नहीं देता है। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने का ट्रंप प्रशासन का तर्क व्यापार अदालत में नहीं चला। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक ने न्यूयार्क स्थित अदालत को बताया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम तभी हुआ, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हस्तक्षेप किया और दोनों देशों को युद्ध टालने के लिए अमेरिका के साथ व्यापार करने की पेशकश की।
टैरिफ लगाने का अधिकार बनाए रखना दुनिया की कूटनीतिक गतिविधियों के लिहाज से महत्वपूर्ण है। लेकिन, अदालत ने इस दलील को नहीं माना। अदालत ने अपने फैसले में लिखा, राष्ट्रपति ने अपने अधिकार से आगे जाकर विश्वव्यापी टैरिफ लगाने का आदेश दिया है। उन्होंने अपने अधिकार का अतिक्रमण किया है। न्यायालय राष्ट्रपति द्वारा टैरिफ के उपयोग की संभावित प्रभावशीलता पर विचार नहीं करता है। टैरिफ लगाने का यह फैसला अस्वीकार्य है। इसलिए नहीं कि यह नासमझी है, बल्कि इसलिए कि संघीय कानून इसकी अनुमति नहीं देता है।
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आयातित वस्तुओं का कारोबार करने वाले अमेरिकी कारोबारियों ने ट्रंप के आयात शुल्क को अदालत में चुनौती दी थी। तीन न्यायाधीशों ने मामले पर सुनवाई की। इनमें ट्रंप द्वारा नियुक्त टिमोथी रीफ, पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा नियुक्त जेन रेस्टानी और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा नियुक्त गैरी कैट्जमैन शामिल हैं। ट्रंप सरकार ने अदालत के इस फैसले को तत्काल प्रभाव से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला लिया है ।
लुटनिक ने पिछले सप्ताह व्यापार न्यायालय को दिए बयान में तर्क दिया कि ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था की रक्षा के उद्देश्य से टैरिफ लगाने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग किया । लुटनिक ने कहा कि टैरिफ लगाने का अधिकार बनाए रखना दुनिया की कूटनीतिक गतिविधियों के लिहाज से महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, परमाणु शक्ति संपन्न देश भारत और पाकिस्तान सिर्फ 13 दिन पहले संघर्ष में शामिल थे। 10 मई को दोनों देश संघर्ष विराम पर पहुंच गए। यह संघर्ष विराम केवल राष्ट्रपति ट्रंप के हस्तक्षेप से संभव हुआ। राष्ट्रपति ने दोनों देशों को युद्ध टालने के लिए अमेरिका के साथ व्यापार करने की पेशकश की थी।
ट्रंप ने दो अप्रैल को दुनिया के लगभग हर देश पर पारस्परिक शुल्क का लगाने का एलान किया था। यानी जो देश अमेरिकी सामान पर जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उन देशों पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। फिलहाल भारत से अमेरिका में होने वाले निर्यात पर इस फैसले से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और अप्रैल में भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 10 प्रतिशत का शुल्क पहले की तरह जारी रहेगा। वहीं स्टील व एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत का शुल्क भी जारी रहेगा, क्योंकि इन दोनों वस्तुओं पर लगने वाले शुल्क अदालती फैसले से प्रभावित नहीं होंगे। स्टील व एल्युमीनियम पर सभी देशों के लिए अमेरिका ने गत मार्च में 25 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया था।
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