यूपी के पांचवें कार्यवाहक डीजीपी बने तेजतर्रार आईपीएस राजीव कृष्ण

लखनऊ। यूपी सरकार ने सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए 91 बैच के तेजतर्रार आईपीएस अफसर राजीव कृष्णा को यूपी का नया कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त कर दिया। उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष के साथ डायरेक्टर विजिलेंस की जिम्मेदारी संभाल रहे राजीव कृष्ण 11 वरिष्ठ आईपीएस को सुपरसीड कर डीजीपी बनाए गए हैं। उनके पुलिस मुखिया बनते ही निवर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलने की उम्मीदें धड़ाम हो गयीं।

शनिवार को रात करीब 9 बजे डीजीपी का कार्यभार कृष्ण ने प्रशांत कुमार से ग्रहण कर लिया। नए डीजीपी राजीव कृष्ण पहले से इस रेस में सबसे आगे चल रहे थे। तीन दशक के कार्यकाल में राजीव अपनी शानदार कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। शनिवार रात करीब आठ बजे राजीव कृष्णा को डीजीपी बनाने की घोषणा की गयी। जिसके बाद देर शाम निवर्तमान प्रशांत कुमार, राजीव कृष्णा और प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने मुख्यमंत्री योगी से भेंट कर उन्हें पुलिस विभाग की कॉफी टेबिल बुक भेंट की।

राजीव कृष्ण वीई की डिग्री हासिल की
प्रदेश के नये कार्यवाहक पी राजीव कृष्ण ने इलेक्ट्रानिक और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में वीई की डिग्री हासिल की है । उनकी पत्नी मीनाक्षी सिंह भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अफसर है। राजीव कृष्ण का पुलिस सेवा में लम्बा और विविध अनुभव रहा है। वे अव तक उत्तर प्रदेश के नौ जिलों में एसपी और एसएसपी के रूप में तैनात रह चुके हैं। इसके अलावा मेरठ रेंज में आईजी, लखनऊ और आगरा जोन में एडीजी के पद पर भी काम कर चुके है।

पुलिस भर्ती बोर्ड में भी रहा विशेष योगदान
इससे पहले, मार्च 2024 में पलिस भर्ती पेपर लीक मामले में तत्कालीन अध्यक्ष रेणका मिश्रा को हटाकर राजीव कृष्ण को यूपीपीआरपीवी का अध्यक्ष बनाया गया था। सीएम योगी के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई थी, जिसने उनकी विश्वसनीयता को और मजबूत किया। राजीव कृष्ण की नई जिम्मेदारी के साथ यूपी पुलिस में एक नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद है। उनकी अनुभवी नेतृत्व क्षमता और कठिन परिस्थितियों में निर्णय लेने की योग्यता से राज्य में अपराध नियंत्रण और जनसुरक्षा को नई दिशा मिलने की संभावना है।

राजीव कृष्ण के सामने क्या रहेगी चुनौतियां
राजीव कृष्ण के सामने यूपी में कानून-व्यवस्था को और सुदृढ़ करने की बड़ी चुनौती है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना की कार्रवाई के वाद राज्य में रेड अलर्ट जारी किया गया था, जिसके प्रबंधन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। उनकी नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा है, जहां उन्हें एक सख्त और अनुभवी अधिकारी के रूप में देखा जा रहा है।

11 वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को सुपरसीड किया
वर्ष 1989 वैच के शफी अहसान रिजवी, आशीष गुप्ता, आदित्य मिश्रा, वर्ष 1990 वैच के संदीप सालुंके, दलजीत सिंह चौधरी, रेणुका मिश्रा, विजय कुमार मौर्य, एमके वशाल, तिलोत्तमा वर्मा, वर्ष 1991 वैच के आलोक शर्मा और पीयूष आनंद को सुपरसीड करके डीजीपी बनाए
गए।

यूपी में मई 2022 से अब तक के कार्यवाहक डीजीपी
डीएस चौहान 1988 वैच 13 मई 2022 31 मार्च 2023 तक, डॉ. राजकुमार विश्वकर्मा 1988 बैच, एक अप्रैल 2023 से 31 मई 2023, विजय कुमार 1988 वैच, 1 जून 2023 से 31 जनवरी 2024, प्रशांत कुमार 1990 वैच, 1 फरवरी 2024 से 31 मई 2025 तक ।

प्रशांत कुमार को नहीं मिला सेवा विस्तार
31 मई को रिटायर होने वाले पांच अफसरों के नाम थे, जिनको लेकर विदाई समारोह का आयोजन भी किया गया था। हालांकि इसमें डीजीपी प्रशांत कुमार का नाम नहीं था। इसको लेकर चर्चा थी कि प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिल सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 31 मई को वह भी रिटायर हो गए। बता दें कि ईओडब्ल्यू के डीजी का पूरा कार्यभार प्रशांत कुमार के पास था और वह कार्यवाहक डीजीपी भी थे।

डीजी ईओडब्ल्यू के पद से ही उनका सेवा विस्तार करने के लिए केंद्र को पत्र भेजा गया था। इस पद पर विस्तार मिलते ही उन्हें कार्यवाहक डीजीपी वने रहने की चर्चा हो रही थी। इसके अलावा डीजीपी पद की दौड़ में मुख्य रूप से वीके मौर्य, राजीव कृष्णा, केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए आलोक शर्मा धरी रह गई। राजीव कृष्ण को यूपी का नया डीजीपी नियुक्त कर लिया गया।

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