अमेरिका नाराज बोला…. नोबेल कमेटी ने पीस की जगह पॉलिटिक्स को चुना
न्यूयॉर्क। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान इस बार किसी हाई वोल्टेज ड्रामे जैसा रहा। बार-बार मांगने के बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को नोबेल नहीं मिलना एंटी क्लाइमेक्स रहा। नोबेल कमेटी ने दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला में विपक्ष की नेता और लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ रहीं मारिया कोरीना मचाडो को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार देने का ओस्लो में ऐलान किया।
ट्रम्प के नामांकन को लेकर संभावित दबाव पर नोबेल कमेटी के अध्यक्ष योगेन फ्रेडनेस ने कहा, चयन की प्रक्रिया संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल के आदर्शों पर अडिग रहती है। उधर, ट्रम्प को अवॉर्ड नहीं मिलने पर खिन्न वाइट हाउस के प्रवक्ता स्टीवन चियुंग ने आरोप लगाया कि नोबेल कमेटी ने पीस की जगह पॉलिटिक्स को तरजीह दी है, लेकिन ट्रम्प पीस डील कराते रहेंगे और लाखों लोगों की जिंदगी को बचाते रहेंगे।
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 224 व्यक्ति और 94 संगठन नामित थे। इनमें पाक के पूर्व पीएम इमरान खान, स्पेस एक्स के सीईओ इलॉन मस्क, पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और रूस के लोकतंत्र समर्थक दिवंगत नेता नवेल्ली की पत्नी यलिया नवल्नया प्रमुख रहे।
आयरन लेडी 20 साल से तानाशाही के विरुद्ध संघर्ष
58 साल की मारिया कोरीना पिछले 20 साल से वेनेजुएला की तानाशाह सरकारों के खिलाफ संघर्ष में जुटी हैं। मारिया को वेनेजुएला की जनता मदर प्रेसिडेंट कहती है। 2012 में संसद में तत्कालीन राष्ट्रपति शावेज को मारिया ने ‘चोर’ कहते हुए संसद छोड़ने को मजबूर कर दिया था। वर्तमान राष्ट्रपति मादुरो ने पिछले साल मारिया के चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया था। पिछले साल अगस्त से मारिया अंडरग्राउंड हैं। • 2025 की टाइम सूची में रही मारिया कहती हैं चील चींटियों का शिकार नहीं करती।
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