लेह। केंद्र सरकार ने लद्दाख के प्रमुख कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा संचालित गैर-लाभकारी संगठन ( एनजीओ) का एफसीआरए पंजीकरण रद कर दिया है। इसका कारण संगठन द्वारा एनजीओ के लिए निर्धारित विदेशी फंडिंग संबंधी कानूनों का बार-बार उल्लंघन बताया गया है। हालांकि यह फैसला वांगचुक के नेतृत्व में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भड़के हिंसक आंदोलनों के ठीक 24 घंटे बाद किया गया है । वांगचुक की ओर से इस पर कोई बयान नहीं आया है।
हाल ही में वांगचुक ने लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर 10 सितंबर से भूख हड़ताल शुरू की थी। इस बीच बुधवार को क्षेत्र में 1989 के बाद की सबसे गंभीर हिंसा हुई, जिसमें युवाओं ने भाजपा मुख्यालय और हिल काउंसिल को निशाना बनाया और वाहनों को आग के हवाले कर दिया । झड़पों में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई | 30 पुलिस कर्मियों समेत 80 से ज्यादा लोग घायल हुए।
मामले में गृह मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों के माध्यम से भीड़ को उकसाया था । हिंसक घटनाओं के बीच उन्होंने अपना उपवास तोड़ा और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यापक प्रयास किए बिना एम्बुलेंस से अपने गांव चले गए। गौरतलब है कि सीबीआई सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित एक संस्थान के खिलाफ विदेशी फंडिंग के उल्लंघन की जांच कर रही है। हालांकि कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
वांगचुक पर हिंसा भड़काने का गृहमंत्रालय ने लगाया है आरोप
सोनम वांगचुक पर आरोप है कि उन्होंने कानून का उल्लंघन करते हुए गैर-लाभकारी संस्था के एफसीआरए खाते में 3.35 लाख जमा कराए। एसईसीएमओएल ने स्पष्ट किया कि यह राशि एक पुरानी बस की बिक्री से प्राप्त हुई थी । हालांकि, सरकार ने इस तर्क को माना नहीं। जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और खाद्य सुरक्षा से जुड़े युवा जागरूकता कार्यक्रमों के लिए एक स्वीडिश दानदाता द्वारा दिए गए 4.93 लाख रुपये के फंड पर भी सवाल खड़े किए गए। सरकार का कहना है कि यह दान राष्ट्रीय हित के विरुद्ध है।