पंद्रह साल बाद एक बार दुबारा भारत को 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मिली मेजबानी

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ग्लास्गो । भारत बीस साल बाद राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी करेगा और बुधवार को यहां राष्ट्रमंडल खेलों की आमसभा की बैठक में अहमदाबाद को मेजबान के तौर पर औपचारिक मंजूरी मिल गई। पिछले महीने कॉमनवेल्थ स्पोर्ट (राष्ट्रमंडल खेल) के कार्यकारी बोर्ड द्वारा शताब्दी चरण के प्रस्तावित मेजबान के रूप में अहमदाबाद की सिफारिश के बाद 74 सदस्यों की जनरल असेंबली के लिए भारत की बोली पर मुहर लगाना महज एक औपचारिकता थी । भारत ने पिछली बार 2010 में दिल्ली में इन खेलों की मेजबानी की थी।

राष्ट्रमंडल खेल बोर्ड ने मूल्यांकन समिति की देखरेख में एक प्रक्रिया पूरी करने के बाद भारत को मेजबानी देने की की सिफारिश की थी। कॉमनवेल्थ स्पोर्ट के अध्यक्ष डॉ डोनाल्ड रुकारे ने कहा, यह राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एक नए सुनहरे दौर की शुरुआत है । भारत व्यापकता, युवा शक्ति, महत्वाकांक्षा, समृद्ध संस्कृति, अपार खेल – जुनून और प्रासंगिकता लेकर आता है । हम राष्ट्रमंडल खेलों के अगले सौ वर्षों की शुरुआत मजबूत स्थिति में कर रहे हैं। राष्ट्रमंडल खेल 2030 में अपने सौ साल भी पूरे कर रहे हैं लिहाजा यह सत्र विशेष रहने वाला है ।

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भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी हासिल करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेजबानी हासिल करने की दौड़ में भी है और अहमदाबाद को ही मेजबान शहर के रूप में पेश किया गया है। भारत ने इससे पहले 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन किया था लेकिन 2030 में इन खेलों को अहमदाबाद में आयोजित किया जाएगा जिसने पिछले एक दशक में अपने खेल ढांचे को नए स्तर तक पहुंचाया है। इसने मेजबानी के दावेदार शहरों का तकनीकी वितरण, खिलाड़ियों के अनुभव, बुनियादी ढांचे, प्रशासन और राष्ट्रमंडल खेल मूल्यों के साथ अनुकूलता के आधार पर मूल्यांकन किया था ।

राष्ट्रमंडल खेल 2030 की मेजबानी के लिए भारत को नाइजीरिया के शहर अबुजा से कड़ी टक्कर मिल रही थी, लेकिन कॉमनवेल्थ स्पोर्ट ने 2034 के खेलों की मेजबानी के लिए अफ्रीका के इस शहर के नाम पर विचार करने का फैसला किया। कॉमनवेल्थ स्पोर्ट ने मंगलवार को एक बयान में कहा, यह राष्ट्रमंडल खेल आंदोलन के भविष्य के लिए एक निर्णायक क्षण होगा तथा इसके 100 साल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ेगा।

भारत ने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी पर लगभग 70,000 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जो शुरुआती अनुमान 1600 करोड़ रुपए से कहीं अधिक था। चार साल में एक बार होने वाले इन खेलों में 72 देश हिस्सा लेते हैं जिनमें सेज़्यादातर पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हैं। बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व संयुक्त सचिव (खेल) कुणाल, भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पी टी उषा और गुजरात के खेल मंत्री हर्ष संघवी सहित अन्य लोगों ने किया। उषा ने कहा, कॉमनवेल्थ स्पोर्ट ने जो भरोसा दिखाया है, उससे हम बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं। 2030 खेलों से हम सिर्फ कॉमनवेल्थ मूवमेंट के 100 साल पूरे होने का जश्न ही नहीं मनाएंगे, बल्कि अगली सदी की नींव भी रखेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट किया कि बहुत खुशीहै कि भारत ने सेंटेनरी कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी की बोली जीत ली है ! भारत के लोगों और स्पोर्टिंग इकोसिस्टम को बधाई। यह हमारा मिलकर किया गया कमिटमेंट और खेल भावना की भावना है जिसने भारत को ग्लोबल स्पोर्टिंग मैप पर मजबूती से जगह दिलाई है। वसुधैव कुटुम्बकम की सोच के साथ, हम इन ऐतिहासिक खेलों को बड़ेजोश के साथ मनाने के लिए उत्सुक हैं। हम दुनिया का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं!

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