नई दिल्ली । करोड़ों का मोटा पैकेज, काम के घंटे न के बराबर और उस पर बॉस भी ना हो. ऐसी नौकरी का सुख स्वर्ग के सुख से कम नहीं है। यूं कहें कि ऐसी नौकरी हर कोई करना चाहता है लेकिन इस नौकरी के लिए कैंडिडेट मिलना मुश्किल होता है। ये नौकरी है मिस्र के अलेक्जेंड्रिया बंदरगाह में फारोस नाम के द्वीप पर स्थित लाइटहाउस ऑफ अलेक्जेंड्रिया के कीपर की । इस नौकरी के लिए सालाना सैलरी 30 करोड़ रुपए है।
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इस लाइटहाउस के कीपर का एक ही काम है कि उसे इस लाइट पर नजर रखना होती है कि यह लाइट कभी बंद ना हो। फिर चाहे दिन के चौबीसों घंटे उसका जो मन करे, वो करे यानी कि जब मन करे सो जाओ, जब जागने का मन हो उठो और एंजॉय करो, फिसिंग करो, समुद्री नजारे देखो। बस, एक बात का ध्यान रखना है कि लाइट हाउस की लाइट बंद ना होने पाए। यह लाइट हमेशा जलती रहे । फिर भी लोग इतने मोटे पैकेज वाली आरामदायक नौकरी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।
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इस नौकरी को दुनिया की सबसे कठिन नौकरी माना जाता है क्योंकि यहां व्यक्ति को पूरे समय अकेले रहना होता है। ना उससे कोई बात करने वाला होता है और ना ही उसे इंसान नजर आते हैं। समुद्र के बीचोंबीच बने इस लाइटहाउस को कई खतरनाक तूफान भी झेलने पड़ते हैं। कई बार तो समुद्री लहरें इतनी ऊंची उठती हैं कि लहरों से लाइट हाउस पूरी तरह ढंक जाता है। इससे लाइटहाउस कीपर की जान जाने का खतरा भी बना रहता है।
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सवाल यह है कि इस लाइट हाउस को क्यों बनाया गया और इसकी लाइट जलते रहना इतना जरूरी क्यों है? एक बार मशहूर सेलर (नाविक) कैप्टन मेरेसियस इस ओर से निकल रहे थे। इस इलाके में बड़ी-बड़ी चट्टानें थीं, जो उन्हें रात के अंधेरे में तूफान के बीच दिखाई नहीं दीं। इससे उनकी नाव उलट गई। कई क्रू मेंबर मारे गए, काफी नुकसान हुआ। तब यहां के शासक ने आर्किटेक्ट को बुलाया और कहा कि समुद्र के बीच ऐसी मीनार बनाओ जहां से रोशनी की व्यवस्था की जा सके।
उससे जहाजों को रास्ता भी दिखाया जा सके और उन्हें बड़े पत्थरों से भी बचाया जा सके। तब यह लाइट हाउस बनाया गया। लाइटहाउस में लकड़ियों की मदद से बड़ी आग जलाई जाती थी और लेंस की मदद से उसे और बड़ा किया जाता था ताकि उसकी रोशनी दूर तक जा सके। यह दुनिया का पहला लाइट हाउस था । इसके बाद दुनिया भर में लाइट हाउस बने ।
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