इजरायली सैनिकों को दुश्मनों से बचाता है शेफ की टोपी जैसा हेलमेट

नई दिल्ली। इजरायली डिफेंस इंडस्ट्रीज ने भविष्य की लड़ाइयों के लिए इजरायली सेना को बेहतर ढंग से सुसज्जित करने के लिए कई विशेष हथियार और उपकरण विकसित किए हैं। इनमें से ही एक उपकरण है, इजरायली सैनिकों की शेफ की टोपी वाला हेलमेट। इसे मित्जनेफेट के नाम से भी जाना जाता है। यह मित्जनेफेट वर्तमान में इजरायली सैनिकों की पहचान से जुड़ गया है।

मित्जनेफेट को पहली बार 1994 में इजरायली सेना में शामिल किया गया था। इस टोपी में हेलमेट के साथ कपड़े का बना एक कैमोफ्लॉज भी लगा होता है। मित्जनेफेट ने दक्षिण लेबनान संघर्ष के बाद के संघर्षों के दौरान इजरायली सैनिकों को एक सामरिक लाभ प्रदान किया है। मित्जनेफेट हेलमेट पर कवर के कई फायदे हैं। यह कवर एक हेलमेट पहले मानव शरीर की विशिष्ट आकार पता नहीं चलने देता है। ताकि खुले युद्ध के मैदान में एक सैनिक को बेहतर ढंग से छिपाया जा सके। इससे सैटेलाइट, स्नाइपर या दूरबीन के लिए सिर्फ सिर दिखने से सैनिक की खोज करना काफी मुश्किल होता है।

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स्नाइपर आसानी से हेड शॉट नहीं लगा पाता, क्योंकि उसे सिर के आकार का सटीक अंदाज नहीं मिलता है।यह अन्य हेलमेट कवर की तरह सैनिकों के हेडगियर से प्रकाश को परावर्तित होने से रोकता है।जालीदार कपड़े से बने, मित्जनेफेट को दोतरफा कैमोफ्लॉज मेटेरियल से बनाया जाता है। इससे मित्जनेफेट को उलटा करके भी पहना जा सकता है। यह एक तरफ से रेगिस्तानी वातावरण में सैनिकों को छिपा सकता है, जबकि दूसरी तरफ से जमीनी इलाके में सैनिकों के लिए किसी छलावरण जैसे काम करता है।

2013 में कंप्यूटर जेनरेटेड नए मल्टीकैम कैमोफ्लॉज से लैस कर दिया गया था । मित्जनेफेट का इस्तेमाल इजरायली सेना के रिजर्व सैनिकों से लेकर रेगुलर फोर्स और स्पेशल फोर्स भी करती है। इसके कुछ शुरुआती कवर घर के बने हुए थे, लेकिन बाद में मित्जनेफेट को इजरायली सेना का एक अहम हिस्सा बना दिया गया। हालांकि, ऐसे कैमोफ्लॉज का इस्तेमाल बाकी किसी देश द्वारा इतने बड़े पैमाने पर नहीं किया जाता है। इसका प्रमुख कारण इजरायल का निर्यात प्रतिबंध है।

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