समुद्र में दुश्मन की खैर नहीं, युद्धपोत अर्नाला नौसेना में शामिल

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अत्याधुनिक पनडुब्बी रोधी युद्धपोत को विशाखापत्तनम बंदरगाह में उतारा गया

विशाखापत्तनम । पनडुब्बी रोधी युद्धपोत अर्नाला को बुधवार को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। अर्नाला उथले जल के युद्धपोत श्रृंखला का पहला जहाज है। और यह पानी की सतह के नीचे निगरानी, खोज और बचाव अभियान तथा कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है । विशाखापत्तनम में नौसेना गोदी में अर्नाला को बेड़े में शामिल करने को लेकर आयोजित समारोह की अध्यक्षता प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान ने की ।

अधिकारियों के अनुसार जनरल चौहान ने अपने संबोधन में नौसेना के खरीदार नौसेना से निर्माता नौसेना के तौर पर आए उल्लेखनीय परिवर्तन को रेखांकित किया। उन्होंने इसे देश की समुद्री महाशक्ति बनने की आकांक्षा की रीढ़ बताया। नौसेना ने बयान में कहा कि 77 मीटर लंबा और 1490 टन से अधिक वजन वाला यह युद्धपोत डीजल इंजन- वॉटरजेट संयोजन द्वारा संचालित होने वाला सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक युद्धपोत है।

नौसेना के अनुसार इस समारोह की मेज़बानी पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने की। समारोह में वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारियों, प्रतिष्ठित नागरिक गणमान्य व्यक्तियों, पूर्व ‘ अर्नाला’ के कमांडिंग अधिकारियों के साथ ही गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स व लार्सन एंड टुब्रो शिपबिल्डिंग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा, इस युद्धपोत में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है और इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस और एमईआईएल जैसी प्रमुख भारतीय रक्षा कंपनियों की उन्नत प्रणालियों को एकीकृत किया गया है।

ऐतिहासिक किले के नाम पर किया गया नामकरण
महाराष्ट्र के वसई स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले के नाम पर इस युद्धपोत का नाम रखा गया है और यह भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को दर्शाता है। नौसेना ने बताया कि इस किले का निर्माण 1737 में मराठाओं द्वारा चिमाजी आप्पा के नेतृत्व में किया गया था। यह किला रणनीतिक रूप से वैतरणा नदी के मुहाने की निगरानी के लिए था और उत्तरी कोंकण तट पर प्रहरी की भूमिका निभाता था।

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