लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट पर किया जा रहा है विचार
लखनऊ । धर्मांतरण सिंडिकेट चलाने वाले मास्टमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर वावा और उसकी खास नीतू उर्फ नसरीन की यूपी एटीएस की रिमाण्ड अवधि बुधवार शाम को मेडिकल जांच के बाद जिला कारागार में दाखिल कर पूरी हो गई। यूपी एटीएस ने दोनों आरोपियों को दिया है। हैरानी की बात यह है कि एटीएस ने रिमाण्ड वढ़ाने के लिए कोई अर्जी दाखिल नहीं की। जांच एजेंसी अव तक मिले सवूतों के आधार पर आगे की जांच में जुटी है। अस्पताल में मेडिकल जांच के वाद जेल जाते वक्त छांगुर वावा ने खुद को वेकसूर वताया, साथ ही कहा कि मुझे कुछ नहीं पता।
सूत्रों का कहना है कि दोनों के लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट पर मंथन किया जा रहा है।दरअसल यूपी एटीएस ने छांगुर और उसकी खास सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को पांच जुलाई को गिरफ्तार किया था। दोनों के खिलाफ लखनऊ एटीएस थाने में देशद्रोह, सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने, धोखाधड़ी और यूपी धर्मातरण प्रतिषेध अधिनियम की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया था।
इस्लाम के प्रचार के लिए आया था फंड
एटीएस ने छांगुर से सवाल किया कि सैकड़ों करोड़ रुपये कहां से आए, इस पर उसने कहा कि इस्लाम के प्रचार के लिए फंड आया था। जव उससे रुपयों का हिसाव मांगा गया तो उसने कहा कि उसे इस वारे में जानकारी नहीं है। सव कुछ लैपटॉप में है। इसके बाद नसरीन ने खुलासा किया उसका लैपटॉप कोठी में रखा था। आशंका जताई जा रही है कि इस लैपटॉप और एक डायरी से काफी खुलासा हो सकता है। फिलहाल, एटीएस इस विन्दु पर भी पड़ताल कर रही है।
अलग-अलग बैरक में हुए बंद
जिला कारागार लखनऊ के वरिष्ठ अधीक्षक आरके जायसवाल ने वताया कि यूपी एटीएस ने छांगुर और नसरीन को दाखिल किया है। तलाशी एवं स्वास्थ्य परीक्षण के बाद दोनों को अलग-अलग वैरक में बंद किया गया है।
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