एक सप्ताह से आइएसएस पर मौजूद भारतीय अंतरिक्षयात्री ने साझा किए अनुभव
यूआरएससी बेंगलुरु के विज्ञानियों के साथ हैम रेडियो के जरिये किया संवाद
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर एक सप्ताह का समय पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा कि मिशन के दौरान आइएसएस के वेंटेज प्वाइंट से पृथ्वी को निहारना सबसे रोमांचक होता है।
पारदर्शी वेंटेज प्वाइंट से धरती का वह मनोरम झलक दिखती है जो धरती से वायुमंडल या बादलों के कारण बेहद मुश्किल है। एक सप्ताह के बाद उन्हें एक दिन की छुट्टी मिली। इस दिन को उन्होंने पृथ्वी पर अपने परिवार और देशवासियों के साथ जुड़कर अनुभव साझा करके बिताया । शुभांशु ने शुक्रवार को आइएसएस से हैम रेडियो के जरिये विज्ञानियों के साथ संवाद किया।
यह संवाद बेंगलुरु के यूआर राव सेटेलाइट सेंटर में स्थापित टेलीब्रिज के माध्यम से आयोजित किया गया। हैम रेडियो के जरिये दुनियाभर में और यहां तक कि अंतरिक्ष में भी संवाद किया जा सकता है। शुभांशु ने कहा, यह बेहतरीन क्षण था। हमें विभिन्न देशों का खाना खाने को मिला और हमने इसे चालक दल के सभी साथियों के साथ साझा किया। हमने आम रस’, ‘गाजर का हलवा’, ‘मूंग दाल हलवा’ के स्वाद का भी आनंद लिया। यहां मौजूद हर किसी को यह बहुत पसंद आया और हमने साथ बैठकर खाना खाया और सभी ने इसकी खूब तारीफ की।
फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष में रवाना होने के अपने अनुभव साझा करते हुए शुभांशु ने कहा, जैसे-जैसे आप ऊंचाई पर जाते हैं, आप रफ्तार अत्यधिक से बढ़ते हैं। वह इसरो-नासा की संयुक्त परियोजना के तहत आइएसएस के 14 दिवसीय मिशन पर हैं।
शुभांशु और तीन अन्य अंतरिक्षयात्री- अमेरिका की पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की, हंगरी के टिबोर कापू ड्रैगन अंतरिक्षयान से 28 घंटे की यात्रा के बाद गुरुवार को भारतीय समय के मुताबिक शाम 4.01 बजे अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचे थे। उन्होंने आइएएस में कई प्रयोग किए। शुभांशु समेत एक्सिओम – 4 के चालक दल ने तीन जुलाई तक पृथ्वी की 113 परिक्रमाएं पूरी कीं । इस दौरान उन्होंने पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का लगभग 12 गुना दूरी की यात्रा की।
अंतरिक्षयात्रियों ने वैज्ञानिक अनुसंधान में दिया महत्वपूर्ण योगदान
एक्सिओम स्पेस ने कहा कि केवल सात दिनों में, एक्सिओम 4 मिशन के अंतरिक्षयात्रियों ने वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मिशन की कमांडर व्हिटसन ने अध्ययन किया कि अंतरिक्ष में न के बराबर गुरुत्वाकर्षण में ट्यूमर कोशिकाएं किस प्रकार व्यवहार करती हैं। यह कैंसर के इलाज में मददगार हो सकता है।
शुभांशु प्रयोग कर पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि माइक्रोग्रैविटी या सूक्ष्मगुरुत्व शैवालों की वृद्धि और आनुवंशिक व्यवहार को किस प्रकार प्रभावित करता है। उन्होंने टार्डिग्रेड्स या वाटर बियर पर भी शोध किया। वाटर बियर छोटे जीव हैं और चरम स्थितियों में जीवित रहने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं। टार्डिग्रेड्स लगभग 60 करोड़ वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद हैं। यह पता लगाने का प्रयास किया कि टार्डिग्रेड्स अंतरिक्ष में कैसे जीवित रहते हैं।
अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने वाले भारतीय बने शुभांशु
शुभांशु ने एक और इतिहास रचा। वह अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रहने वाले भारतीय अंतरिक्षयात्री भी बन गए। उन्होंने अपने राकेश शर्मा का रिकार्ड तोड़ा। राकेश शर्मा 1984 में सोवियत इंटरकास्मोस प्रोग्राम के तहत अंतरिक्ष में सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए थे। शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में दस दिन बिताए हैं।
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