नई दिल्ली । भारत का इस्पात और एल्युमीनियम पर अमेरिकी शुल्क के जवाव में कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवावी आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव दोनों देशों के वीच व्यापार समझौते के लिए जारी वातचीत पर असर डाल सकता है। शोध संस्थान जीटीआरआई ने मंगलवार को यह बात कही। ग्लोवल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि अगर अमेरिका इस मामले पर भारत के साथ विचार-विमर्श करता है या शुल्क वापस लेता है, तो समाधान हो सकता है। ऐसा नहीं होने पर भारत के जवावी आयात शुल्क जून की शुरुआत में प्रभावी हो सकते है, जिससे संभावित रूप से अमेरिकी निर्यातकों पर असर पड़ सकताहै और व्यापार के स्तर पर टकराव वढ़ सकता है।
भारत ने इस्पात, एल्युमीनियम और उनसे तैयार उत्पादों पर अमेरिकी रक्षोपाय शुल्क के जवाव में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को अमेरिका को दी गई व्यापार रियायतों को निलंवित करने की अपनी योजना की सूचना दी है। रियायतों को निलंबित करने का प्रस्ताव चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर बढ़े हुए शुल्क के रूप में हो सकता है। हालांकि, भारत ने अभी तक उन वस्तुओं का खुलासा नहीं किया है। लेकिन 2019 में इसी तरह के एक कदम में वादाम और सेव से लेकर रसायनों तक 28 अमेरिकी उत्पादों पर जवावी शुल्क लगाया गया था।
भारत ने इस वारे में 12 मई को नोटिस जारी किया। इसमें डब्ल्यूटीओ के रक्षोपाय समझौते के प्रावधान के तहत अपने अधिकारों के उपयोग की बात कही गयी है। यह कानूनी प्रावधान उस स्थिति में किसी देश को जवावी कार्रवाई करने की अनुमति देता है जव कोई अन्य सदस्य विना उचित सूचना या परामर्श के रक्षोपाय कदम उठाता है। भारत ने अप्रैल में अमेरिका से परामर्श मांगा था। अमेरिका ने कहा कि शुल्क राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाये गये है और उन्हें रक्षोपाय कदम नहीं माना जाना चाहिए । जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘भारत ने यह कदम एक नाजुक क्षण में उठाया है। भारत और अमेरिका एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते की संभावना तलाश रहे है।