बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुले, चारधाम यात्रा शुरू

बदरीनाथ में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से की गई

बदरीनाथ। उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्वप्रसिद्ध दरीनाथ धाम के कपाट सर्दियों में छह माह वंद रहने के बाद रविवार पुनः श्रद्धालुओं के लिए खोलने के साथ ही पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से की गई । पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सुवह छह वजे चमोली जिले में स्थित मंदिर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा अर्चना के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इस मौके पर मंदिर परिसर में देश-विदेश के करीब 15 हजार श्रद्धालाओं के साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यसभा सदस्य एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष महेंद्र भट्ट तथा टिहरी के विधायक किशोर उपाध्याय भी मौजूद थे।

कपाट खुलने पर मुख्यमंत्री ने पहली महाभिषेक पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से की और देश व राज्य की सुख समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री ने मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं का अभिवादन भी किया तथा उनसे यात्रा के लिए की गयी व्यवस्थाओं के वारे में राय जानी। कपाट खुलने के दौरान पूरा वातावरण ढोल-नगाड़ों व सेना की मधुर धुन और हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं के ‘जय वदरी विशाल’ के जयकारों से भक्तिरस से सरावोर हो उठा। इस अवसर पर मंदिर को लगभग 15 टन रंग-विरंगे और सुगंधित फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था, जिसने मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा दिए।

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मंदिर प्रांगण में माणा और वामणी गांव की महिलाओं ने झुमैलो नृत्य किया । अन्य राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने भी भजन कीर्तन गाए और हेलीकॉप्टर से मंदिर परिसर में मौजूद श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा भी की गयी जो करीब 10 मिनट तक होती रही। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षित और सुगम चारधाम यात्रा के लिए राज्य सरकार ने सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की है। उन्होंने श्रद्धालुओं से हरित और स्वच्छ चारधाम यात्रा के लिए राज्य सरकार को पूरा सहयोग देने का आग्रह भी किया । इससे पहले, परंपरानुसार सुवह वदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल, धर्माधिकारी व वेदपाठियों द्वारा मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई और फिर विधि विधान से माता लक्ष्मी को गर्भ गृह से निकालकर मंदिर की परिक्रमा करा लक्ष्मी मंदिर में विराजमान किया गया।

इसके बाद भगवान कुवेर जी व उद्धव को वदरी विशाल मंदिर के गर्भ गृह में विराजित किया गया। तत्पश्चात भगवान बदरी विशाल की चतुर्भुज मूर्ति से घृत कंवल को अलग कर उनका विधिवत अभिषेक (स्नान) करवाया गया और आकर्षक श्रृंगार किया गया। मुख्य मंदिर के साथ ही वदरीनाथ धाम मंदिर परिक्रमा स्थित गणेश, घंटाकर्ण, आदि केदारेश्वर, आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर व माता मूर्ति मंदिर के कपाट भी इस यात्रा हेतु श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए है।

मान्यताओं के अनुसार, वर्ष में छह माह (ग्रीष्मकालीन) मनुष्य भगवान विष्णु की पूजा करते है, जबकि वाकी के छह माह (शीतकालीन) यहां देवता स्वयं भगवान विष्णु की आराधना करते हैं, जिसमें मुख्य पुजारी देवर्षि नारद होते है । वदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा पूर्ण रूप से शुरू हो गयी है। उत्तराखंड के चार धामों में शामिल तीन अन्य धाम – गंगोत्री, यमुनोत्री तथा केदारनाथ पहले ही खुल चुके है।

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