पीएम, सीएम, मंत्रियों को हटाने का बिल संयुक्त समिति को
हंगामे के बीच बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित हुआ ‘ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 ́
नई दिल्ली । गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार किए गए और लगातार 30 दिन हिरासत में रखे गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने के प्रावधान वाले तीन विधेयक वुधवार को लोकसभा में पेश किए गए। सदन ने तीनों विधेयकों को अध्ययन के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजने का फैसला किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध और हंगामे के वीच सदन में ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025′, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025’ पेश किए।
वाद उनके प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया। समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे और यह अपनी रिपोर्ट अगले संसद सत्र के प्रथम सप्ताह के अंतिम दिन तक पेश करेगी। दूसरी तरफ हंगामे के वीच सदन ने ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने वाले ‘ऑनलाइन खेल संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025’ को विना चर्चा के ध्वनिमत से पारित कर दिया।
विपक्ष की ओर से एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने विधेयकों को पेश किए जाने का विरोध किया। इन तीनों विधेयकों को लेकर विपक्ष ने काफी हंगामा किया और सदन की वैठक पहले करीव 45 मिनट के लिए अपराह्न तीन वजे तक और फिर शाम पांच वजे तक स्थगित कर दी गई। कुछ सदस्यों को गृह मंत्री के सामने कागज फाड़कर फेंकते हुए देखा गया।
तीन वजे वैठक पुनः शुरू हुई तो लोकसभा अध्यक्ष विरला ने सदस्यों के विरोध के तरीके पर नाराजगी जताते हुए कहा, “संसद के अंदर यह तरीका ठीक नहीं । संसद की मर्यादा को तोड़ने का यह तरीका ठीक नहीं है । इस तरीके को सुधार लो। ” इससे पहले सत्तापक्ष और विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक देखी गई।
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केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू और रवनीत सिह विट्टू समेत भाजपा के कुछ सदस्यों को शाह के आसपास खड़े देखा गया। सदन के तीन मार्शलों ने शाह के चारों ओर सुरक्षा घेरा भी वना रखा था। शाम पांच बजे कार्यवाही पुनः शुरू होने पर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी ‘ऑनलाइन खेल संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025’ को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखा। लोकसभा अध्यक्ष ओम विरला ने एसआईआर के मुद्दे पर हंगामा कर रहे विपक्ष के सदस्यों से कहा कि यदि वे अपनी जगह जाकर बैठ जाएं और उक्त विधेयक पर चर्चा में भाग लें तो वह इसके लिए 18 घंटे का समय भी आवंटित करने को तैयार है।
तीनों संविधान संशोधन बिल के उद्देश्य व कारण
विधेयकों के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि कोई मंत्री जो गंभीर दंडनीय अपराधों के आरोप का सामना कर रहा है, उसे गिरफ्तार किया जाता है और हिरासत में रखा जाता है तो वह संवैधानिक नैतिकता के मापदंडों तथा सुशासन के सिद्धांतों को विफल कर सकता है या उनमें वाधा डाल सकता है और अंततः लोगों द्वारा उसमें जताए गए विश्वास को कम कर सकता है। इसके अनुसार ऐसे मंत्री को हटाए जाने के लिए संविधान के अधीन कोई उपबंध नहीं है जो गंभीर दंडनीय आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जाता है।
संविधान ( 130वां संशोधन) विधेयक 2025 के मसौदे के अनुसार यदि किसी मंत्री को पद पर रहते हुए पांच वर्ष या उससे अधिक की के कारावास वाले किसी दंडनीय अपराध के आरोप में लगातार तीस दिन की अवधि के लिए गिरफ्तार किया जाता है और हिरासत में रखा जाता है तो उसे 31वें दिन तक प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा पद से हटा दिया जाएगा। इसी तरह का प्रावधान प्रधानमंत्री, राज्यों, दिल्ली और पुडुचेरी संघशासित राज्य के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के मामले में भी प्रस्तावित है।