400 से ज्यादा कलाकारों ने किया ब्रज की लोक संस्कृति का प्रदर्शन
जन्मस्थान मंदिर की सजावट में 221 किलो चांदी और सिंदूरी फूल, काशी से आए उपहार
पिछले साल से ज्यादा संख्या में पहुंचे श्रद्धालु, विदेशी पर्यटकों की भी रही भीड़
मथुरा। योगी सरकार के प्रयासों से ब्रज की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को एक नई पहचान मिली है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मथुरा में मनाया गया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव 2025 है, जिसे इस वर्ष ‘दिव्य और भव्य’ रूप में आयोजित किया गया। योगी सरकार द्वारा गठित उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने तीन दिवसीय इस उत्सव को यादगार बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। पूरे ब्रज में भक्ति और उत्साह का ऐसा माहौल था कि अब तक (रात 8 बजे) 30 लाख से अधिक श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन पहुंच चुके हैं और जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर यह संख्या 40 लाख से अधिक पहुंचने की उम्मीद है।
ब्रज संस्कृति का अद्भुत संगम: मंच से सड़क तक कला का प्रदर्शन
इस जन्मोत्सव की सबसे बड़ी विशेषता, ब्रज की लोक कला और संस्कृति का व्यापक प्रदर्शन रहा। उत्सव को खास बनाने के लिए उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा पूरे ब्रज क्षेत्र में 21 छोटे और 5 बड़े मंच बनाए गए थे। इन मंचों पर ब्रज क्षेत्र से आए करीब 400 कलाकारों की टोलियों ने रास, भजन, नृत्य और श्रीकृष्ण की जन्म लीलाओं का मनमोहक मंचन किया। इसके साथ ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान से जुड़े सभी रास्तों पर स्ट्रीट परफॉर्मर के ग्रुप अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे थे। बीन, सारंगी, डमरू, ढप, ढोल, मजीरा और नगाड़े की गूंज से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया। कच्ची घोड़ी और बहरूपिया जैसे पारंपरिक कलाकार भी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बने।
यह भी पढ़ें : अयोध्या में दक्षिण भारत के तीन महान संगीतकारों की मूर्तियां होगी सुशोभित
दिव्य सज्जा और अनोखी पहल, काशी- वृंदावन का मिलन
श्रीकृष्ण जन्मस्थान का गर्भगृह इस उत्सव के लिए विशेष रूप से सजाया गया था। गर्भगृह को कारागार की तरह स्वरूप दिया गया था, जिसमें 221 किलो चांदी का इस्तेमाल किया गया। मंदिर की सजावट ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की थीम पर की गई थी, जिसमें सिंदूरी रंग के फूलों का प्रयोग हुआ। ये फूल खासतौर पर कोलकाता और बेंगलुरु से मंगाए गए थे। इस बार की जन्माष्टमी का एक और खास पहलू था काशी विश्वनाथ मंदिर से मथुरा में ठाकुर जी के लिए आए उपहार, जिनमें टॉफी, चॉकलेट और लड्डू शामिल थे, जो देश की सांस्कृतिक एकता को दर्शाते हैं।

शोभायात्रा में दिखी ब्रज की अद्भुत छटा
जन्माष्टमी से एक दिन पहले, शुक्रवार को श्रीकृष्ण के 5252वें जन्मोत्सव पर एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में ब्रज की संस्कृति की अद्भुत छटा दिखाई दी। श्री कृष्ण जन्मस्थान से शुरू हुई शोभायात्रा में कलाकारों ने कृष्ण- गोपियों का रास, मयूर नृत्य और ढोल- नगाड़ों पर झूमते हुए मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। वहीं कलाकारों ने भी बीन बजाकर समां बांधा। इस दौरान कई आकर्षक झांकियां भी निकाली गई, जिन्हें देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर मौजूद थे।
यह भी पढ़ें : हीरा कारोबारी के दान किए गए 70 करोड़ के आभूषण को श्रीरामलला करेंगे धारण
पर्यटन को मिला बढ़ावा, विदेशी भी हुए मंत्रमुग्ध
योगी सरकार के प्रयासों से ब्रज का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वैश्विक पटल पर बढ़ रहा है। इस वर्ष श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर पहुंचे श्रद्धालुओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी, योगी सरकार की पर्यटन नीतियों की सफलता को दिखाती है। भारत के कोने- कोने से तो भक्त पहुंचे ही, कनाडा, रूस, अमेरिका, फ्रांस और नेपाल जैसे देशों से भी भारी संख्या में विदेशी पर्यटक इस दिव्य उत्सव का हिस्सा बनने आए।
योगी सरकार का संकल्, विरासत और विकास का संगम
योगी सरकार धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के साथ- साथ आधुनिक विकास को भी प्राथमिकता दे रही है। ब्रज तीर्थ विकास परिषद के माध्यम से सरकार ने न केवल तीर्थ स्थलों का सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार किया है, बल्कि उन्हें वैश्विक पहचान भी दिलाई है। इस तरह के भव्य आयोजनों से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, बल्कि स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को भी एक बड़ा मंच मिलता है। सरकार की यह पहल ब्रज क्षेत्र को उसकी खोई हुई आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा वापस दिला रही है।
यह भी पढ़ें : राम मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वजारोहण का उत्सव राम विवाह के दिन फहराया जाएगा ध्वज