सुप्रीम कोर्ट का टूक : भारत धर्मशाला नहीं जहां दुनियाभर से आए विदेशियों को रखा जा सके

नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि देश कोई धर्मशाला या सार्वजनिक आश्रय स्थल नहीं है, जहां दुनियाभर से आए विदेशी नागरिकों को रखा जा सके। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता श्रीलंकाई नागरिक को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के मामले में सात साल की सजा पूरी करने के बाद देश छोड़ने का निर्देश दिया गया था। पीठ ने कहा, “क्या भारत दुनिया भर…

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