अंतरिक्ष में इंसान को भेजने की तैयारी में इसरो, विभिन्न माहौल में 25 बार किया गया परीक्षण
बेंगलुरु | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में मानव भेजने की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है। इसरो ने शनिवार को कहा कि उसने ‘योग्यता परीक्षण कार्यक्रम’ (क्वालिफिकेशन प्रोग्राम) पूरा करने के साथ ही गगनयान मिशन के लिए सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (एसएमपीएस) को सफलतापूर्वक विकसित कर लिया है। इस सिस्टम को गगनयान का इंजन भी कहा जा सकता है।
इसरो के मुताबिक एसएमपीएस एकीकृत प्रदर्शन को मान्य करने के लिए 350 सेकेंड के लिए एसएमपीएस का पूर्ण अवधि का ‘हॉट परीक्षण’ आयोजित किया गया। वास्तविक परिस्थिति में किया जाने वाला यह परीक्षण शुक्रवार को सर्विस मॉड्यूल आधारित ‘फ्लाइट ऑफ- नॉमिनल मिशन प्रोफाइल’ के लिए किया गया। फ्लाइट ऑफ-नॉमिनल मिशन प्रोफाइल’ का संबंध किसी विमान के उड़ान पथ और उसकी अन्य गतिविधियों से है।
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इसरो ने कहा, परीक्षण के दौरान प्रणोदन प्रणाली का समग्र प्रदर्शन पूर्व- परीक्षण पूर्वानुमानों के अनुसार सामान्य था । गगनयान का सर्विस मॉड्यूल (एसएम) एक विनियमित द्वि- प्रणोदक आधारित प्रणोदन प्रणाली है जो आरोहण चरण के दौरान कक्षा वृत्तीकरण, ऑन-ऑर्बिट नियंत्रण, डी- बूस्ट संचालन और सर्विस मॉड्यूल आधारित निरस्तीकरण के लिए कक्षीय मॉड्यूल की आवश्यकताओं को पूरा करता है। गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान मिशन है। इसके साथ ही अंतरिक्ष में मानव भेजने को लेकर भारत ने एक बड़ी सफलता हासिल कर ली है। इसरो ने इस मॉडल को अलग-अलग माहौल में कम से कम 25 बार टेस्ट किया।
वहीं इंजन को 14 हजार सेकेंड्स तक चलाकर देखा गया कि यह अंतरिक्षयात्रियों के लिए तैयार है या नहीं। इस सफलता का मतलब है कि अब इसरो इंसानों के लिए सुरक्षित स्पेस क्राफ्ट बनाने में सक्षम है। अब इसरो की टीम इस काम में और मेहनत करेगी और अंतरिक्ष मिशन की तैयारी में जुट जाएगी । गगनयान के उड़ान भरते ही भारत स्पेस टेक्नॉलजी वाला चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका, रूस और चीन पहले से ही अंतरिक्षयात्रियों को स्पेस में भेज चुके हैं।
क्या है प्रोपल्शन सिस्टम
प्रोपल्शन सिस्टम गगनयान के इंजन की तरह काम करेगा। स्पेस में जाने के बाद यही गगनयान को नियंत्रित करने और आगे बढ़ाने का काम करेगा। यह कक्षा को बदलने, दिशा बदलने और गगनयान को धीमा-तेज करने के काम आएगा। इसके अलावा धरती पर लौटने में भी इसका अहम योगदान होगा। इसमें दो तरह के ईंधन का उपयोग किया जाएगा। बड़े संचालन के लिए लिक्विड अपोजी मोटर्स का इस्तेमला होगा। वहीं थ्रस्टर के लिए रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा।
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