संविधान के कारण मुख्यधारा में आया पिछड़ा वर्ग व महिलाएं
मुंबई | प्रधान न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने मंगलवार को कहा कि डॉ. बी. आर. आंबेडकर ने संविधान की सर्वोच्चता की बात की थी और उनका मानना था कि न्यायपालिका को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए। वह शीर्ष न्यायिक पद पर पदोन्नत होने पर महाराष्ट्र विधानमंडल द्वारा अपना अभिनंदन किए जाने के बाद बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संविधान देश में रक्तहीन क्रांति का हथियार रहा है।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका ने पिछले 75 वर्षों में भारत में सामाजिक-आर्थिक समानता लाने के लिए मिलकर काम किया है। जैसे- जैसे संविधान अपनी शताब्दी की ओर बढ़ रहा है, उन्हें खुशी है कि वह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा रहे हैं। न्यायमूर्ति गवई ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. आंबेडकर ने कहा था, हम सभी संविधान की सर्वोच्चता में विश्वास करते हैं, जो शांति और युद्ध के दौरान देश को एकजुट रखेगा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि संविधान तीनों अंगों कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को अधिकार देता है तथा आंबेडकर के अनुसार न्यायपालिका को नागरिकों के अधिकारों की प्रहरी और संरक्षक के रूप में काम करना है। आंबेडकर ने यह भी कहा था कि न्यायपालिका को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए। संविधान स्थिर नहीं रह सकता इसे जीवंत होना चाहिए तथा निरंतर विकसित होते रहना चाहिए । प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा कि संविधान के कारण ही महिलाएं और पिछड़े समुदाय राष्ट्रीय मुख्यधारा में आए हैं।