अब ओला-उबर के लिए देना पड़ सकता है दोगुना किराया

केंद्र ने पीक आवर्स में बेस किराया बढ़ाने को दी मंजूरी

 गैर व्यस्त समय में किराया बेस फेयर का न्यूनतम 50 प्रतिशत होगा

नई दिल्ली। यदि आप भी कैब सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों मसलन ओला, उबर और रैपिडो की सेवाएं लेते हैं तो अपनी जेब ढीली करने के लिए तैयार रहें। सड़क परिवहन मंत्रालय ने कैब एग्रीगेटर्स को ‘पीक आवर’ यानी ‘व्यस्त समय के दौरान बेस फेयर (आधार किराया) का दोगुना तक किराया वसूलने की अनुमति दी है। पहले यह किराया डेढ़ गुना था। गैर व्यस्त समय के लिए किराया आधार मूल्य का न्यूनतम 50 प्रतिशत होना चाहिए।

मंत्रालय ने अपने ‘मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश – 2025’ में स्पष्ट किया है कि एग्रीगेटर को उप खंड (17.1) के तहत निर्दिष्ट आधार किराये से न्यूनतम 50 प्रतिशत कम किराया लेने और अधिकतम दोगुना मूल्य निर्धारण की अनुमति होगी। इसके अलावा, चार्ज किया जाने वाला बेस किराया न्यूनतम तीन किलोमीटर के लिए होगा ताकि ‘डेड माइलेज’ की भरपाई की जा सके। इसमें बिना यात्री के तय की गई दूरी, यात्रा वाली दूरी और यात्री को लेने के लिए उपयोग किया गया ईंधन शामिल है।

दिशानिर्देशों के अनुसार, मोटर वाहन की संबंधित श्रेणी या वर्ग के लिए राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किराया एग्रीगेटर से सेवाएं प्राप्त करने वाले यात्रियों के लिए देय बेस किराया होगा। राज्यों को तीन महीने के भीतर संशोधित दिशानिर्देशों को अपनाने की सलाह दी गई है। कैब कैंसिलेशन के मामले में यदि रद्दीकरण एग्रीगेटर द्वारा वैध कारण के बिना किया जाता है तो चालक पर किराये का 10 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा जोकि 100 रुपये से अधिक नहीं होगा। बिना किसी वैध कारण के कैब रद करने पर यात्री पर भी इसी प्रकार का जुर्माना लगाया जाएगा।

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