देश में हर तीन मिनट में एक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में होती है मौत

शिमला। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में प्रत्येक तीन मिनट में एक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत के मामले सामने आते हैं। रिपोर्ट के मुताविक वर्ष 2023 में ही 4.8 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.72 लाख से अधिक लोगों की जाने गई। मृतकों में 10,000 वच्चे, 35,000 पैदल यात्री और हजारों दोपहिया वाहन सवार शामिल थे। इन दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में लापरवाही, ओवरस्पीडिंग और सुरक्षा मानदंडों की घोर अवहेलना प्रमुख रूप में सामने आई। सवसे चिंताजनक बात यह रही है कि इनमें से 54,000 ने हेलमेट नहीं पहना था जवकि 16,000 लोगों ने सीटवेल्ट नहीं वांधी थी।

अकेले 2023 में 4.8 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.72 लाख लोगों की जान गई 54000 लोगों ने हेलमेट नहीं पहना था और 16000 लोगों ने सीट बेल्ट नहीं
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बांधा था (आईआईटी) दिल्ली के सेंटर फॉर ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड इंजरी प्रिवेंशन (टीआर आईपीपी) द्वारा किए गए सड़क सुरक्षा ऑडिट ने भारतीय सड़कों के वारे में कई गंभीर खामियों को उजागर किया है जिनमें खराव तरीके से बनाए गए क्रैश वैरियर, असुरक्षित मध्य विभाजक और ग्रामीण क्षेत्रों में खतरनाक सड़क ऊंचाई जैसी खामिया प्रमुखता से सामने आई हैं।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी स्वीकार किया कि सड़क दुर्घटनाओं के पीछे मानवीय भूल एक प्राथमिक कारण है लेकिन दोषपूर्ण सड़क डिजाइन और खराव इंजीनियरिंग को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराना गलत नहीं है। वर्ष 2019 से अव तक मालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर 13,795 से अधिक व्लैक स्पॉट्स की पहचान की है फिर भी अव तक केवल 5,000 की ही मरम्मत की गई है जो समस्या के पैमाने को देखते हुए अपर्याप्त प्रतिक्रिया है । आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर गीतम तिवारी ने चेतावनी दी है कि ‘मानकों के अनुसार नहीं बनाए गए सुरक्षा उपकरण सुरक्षा उपाय नहीं वल्कि वे मौत का जाल हैं।

गौरतलव है कि भारत में 35 करोड़ पंजीकृत वाहनों और 66 लाख किलोमीटर के करीव सड़कों का जाल है जो एक जटिल यातायात मिश्रण का सामना करता है। मवेशियों से लेकर साइकिलों तक और ट्रकों से लेकर पैदल चलने वालों तक, सवके सव एक ही स्थान पर चलते हैं। इसके अलावा सड़क किनारे अतिक्रमण, अव्यवस्थित चौराहे और खराव आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली भी हैं जिनका परिणाम मौतों की वढ़ती तादाद के तहत आता है। शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कवि भल्ला का तर्क है कि सिर्फ सड़कें चौड़ी करने से कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि ज्यादा रफ्तार से गाड़ी चलाने से जोखिम बढ़ जाता है ।

उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिकी मॉडल की नकल करना बंद कर देना चाहिए और इसके वजाय डेटा – समर्थित, समावेशी सुरक्षा समाधानों में निवेश करना चाहिए। शिमला के राज्य सतर्कता व्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरवीर सिंह राठौर ने कहा, “हर दुर्घटना किसी के प्रियजन को छीन लेती है । अव समय आ गया है कि हम सड़क सुरक्षा को एक गौण मुद्दा न समझकर साहसपूर्वक और निर्णायक रूप से कार्य करें।

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